INDEPENDENCE-DAY-पूरे देश में 74वां स्वतन्त्रता दिवस आज, लेकिन बंगाल के नदिया में 18 को
सर रेडक्लिफ ने की थी गलती, गलत नक्शा बना नदिया जिले को तब के पूर्व पाकिस्तान में कर दिया था शामिल, हालात इतने बिगड़े कि ब्रिटिश हुकूमत को अपना फैसला वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा
INDEPENDENCE-DAY-पूरे देश में 74वां स्वतन्त्रता दिवस आज, लेकिन बंगाल के नदिया में 18 को
INDEPENDENCE-DAY: कोलकाता. एक ओर जहां पूरे हिन्दुस्तान में 15 अगस्त को 74वें स्वतंत्रता दिवस पर शान से तिरंगा लहराएगा वहीं पश्चिम बंगाल के नदिया में 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। दरअसलइसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इसके पीछे आजाद होने से जुड़ी दिलचस्प कहानी है। 12 अगस्त 1947 को रेडियो पर घोषणा की गई कि भारत को आजादी मिल गई है। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में भारत की आजादी को लेकर रेडियो पर पढ़ी खबर में कहा गया कि नदिया जिले को पाकिस्तान में शामिल किया जा रहा। इस खबर के बाद हिंदू बहुल नदिया के इलाके में विद्रोह पैदा हो गया। दरअसल बंगाल के नदिया जिले को लेकर प्रशासनिक गलती हुई थी। जो गलती भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की लकीर खींचने वाले सर रेडक्लिफ ने की थी। रेडक्लिफ ने गलत नक्शा बना दिया था और नदिया जिले को तब के पूर्वी पाकिस्तान में शामिल कर दिया गया था।
आजादी से पहले नदिया में 5 सब डिविजन कृष्णानगर सदर, मेहरपुर, कुष्टिया, चुआडांगा और राणाघाट थे। यह सभी इलाके पूर्वी पाकिस्तान में शामिल कर दिए गए। इस खबर के फैलने के बाद नदिया में दंगे भडक़ उठे और लगातार 2 दो दिनों तक इलाके में घमासान मचा रहा। अवाम ब्रिटिश हुकूमत के फैसले के विरोध में सडक़ पर उतर आई। महिलाओं ने 2 दिनों तक घरों में चूल्हे तक नहीं जलाए। मुस्लिम लीग के कुछ नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ कृष्णानगर पब्लिक लाइब्रेरी पर पाकिस्तानी झंडे फहरा दिए थे। इन नेताओं ने रैलियां निकालीं और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। लेकिन नदिया जिले में हालात इतने बिगड़े विद्रोह इतना बढ़ा कि ब्रिटिश हुकूमत को अपना फैसला वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। नदिया जिले में विद्रोह की खबर जब भारत के अंतिम वायसराय लोर्ड माउंटबेटन तक पहुंची तो उन्होंने रेडक्लिफ को अपनी गलती सुधारने के आदेश दिए। इसके बाद रेडक्लिफ ने नक्शे में बदलाव किए। आखिरकार नदिया जिले के राणाघाट, कृष्णानगर, और करीमपुर के शिकारपुर को भारत में शामिल किया गया। इस सुधार में कुछ वक्त लगा और नदिया जिले को भारत में शामिल करने की घोषणा 17 अगस्त की आधी रात को हुई।नया फैसला आने के बाद 18 अगस्त को कृष्णानगर लाइब्रेरी से पाकिस्तान का झंडा उतारा और वहां भारतीय तिरंगा फहराया गया। लेकिन तिरंगा फहराने की तारीख बदल गई। दरअसल राष्ट्रध्वज के सम्मान में बने पहले के कानून के मुताबिक आम नागरिक सिर्फ 23 जनवरी, 26 जनवरी और 15 अगस्त को ही झंडा फहरा सकते थे। 18 अगस्त को आजादी हासिल करने के नदिया जिले के संघर्ष को यादगार बनाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी प्रमथनाथ शुकुल के पोते अंजन शुकुल ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने को चुनौती दी। उनके लंबे संघर्ष के बाद साल 1991 में केंद्र सरकार ने उन्हें 18 अगस्त को नदिया में झंडा फहराने की इजाजत दी। तब से नदिया जिले और उसके अंतर्गत आने वाले शहरों में 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा।
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