एक अन्य ज्योतिषाचार्य पं. मनोज शास्त्री का कहना है कि श्राद्ध का अर्थ श्रद्धापूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करने से है। हिंदू धर्म में श्राद्ध पर्व का विशेष महत्व है। पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर दान धर्म करने की परंपरा है। पितरों की मुक्ति के लिए कर्म किये जाते हैं। एक पक्ष तक चलने वाले इस श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण विधि-विधान से किया जाता है। श्राद्ध पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या के दिन (जिसे महालया भी कहते हैं) 6 अक्टूबर को होगा। श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शस्त्र से, दुर्घटना में, अकाल मृत्यु से मृतकों का श्राद्ध करना चाहिए। भले ही उनकी मृत्युतिथि कोई और हो। सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी मृतकों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी न हो। इस दिन अपने जाने-अनजाने सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।…..………..