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बंगाल के लाल ने जीत नोबल पुरस्कार, फूले नहीं समा रही मां, जाने क्या कहा…

locationकोलकाताPublished: Oct 14, 2019 09:21:09 pm

कभी होठों पर आ रही हंसी, कभी छलक रहे हैं आंसू

बेटे-बहू ने जीता नोबल पुरस्कार, फूले नहीं समा रही मां, जाने क्या  कहा...

बेटे-बहू ने जीता नोबल पुरस्कार, फूले नहीं समा रही मां, जाने क्या कहा…

कोलकाता

बेटे और बहू को नोबल पुरस्कार (Nobel Prize)। यह खबर सुन कोलकाता में रहने वाली निर्मला बनर्जी का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। हालांकि उन्हें इस बात का मलाल भी रहा कि पुत्र अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) ने फोन कर उन्हें अपनी उपलब्धि के बारे में पहले सूचना नहीं दी। अभिजीत और उनकी पत्नी एस्थर डफलो को नोबल पुरस्कार दिए जाने की खबर मिलते ही निर्मला बनर्जी के घर मीडियाकर्मियों का हुजूम उमड़ पड़ा। उस समय तक अभिजीत बनर्जी ने अपनी मां को इसके बारे में नहीं बताया था। मीडियाकर्मियों से बातचीत में निर्मला बनर्जी ने पुत्र अभिजीत बनर्जी के प्रति थोड़ी नाराजगी जाहिर की, लेकिन कहा कि वह बेटे की उपलब्धि से बेहद खुश हैं। दक्षिण कोलकाता के हिन्दुस्तान पार्क इलाका स्थित अपने मकान में रहने वाली निर्मला बनर्जी ने कहा कि अभिजीत ने भारत का नाम रोशन किया है। वह केवल उनका नहीं, बल्कि पूरे देश का बेटा है। हालांकि शाम में निर्मला बनर्जी की अभिजीत से बातचीत हुई।
मीडियाकर्मियों से बात करते समय कभी बेटे की बचपन की यादों से उनके होठों पर हंसी आ जा रही है तो कभी आंखों से खुशी के आंसू छलके जा रहे हैं। निर्मला बनर्जी के घर मीडियाकर्मियों व आमलोगों का तांता लगा हुआ है। कोई अभिजीत जैसे लाल को जन्म देने वाली निर्मला देवी को देखने पहुंच रहा है तो कोई उनके पैतृक घर को। यहीं रहकर अभिजीत बनर्जी ने प्रारंभिक शिक्षा हासिल की थी।
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माता-पिता प्रोफेसर

अभिजीत बनर्जी के माता-पिता भी प्रोफेसर थे। पिता दीपक बनर्जी प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के हेड थे। मां निर्मला बनर्जी सेन्टर फॉर स्टडीज इन साइंस कोलकाता में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थी। दादा जे.एन.बनर्जी भी शिक्षक थे।
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कोलकाता में हुई थी प्रारंभिक शिक्षा

अभिजीत बनर्जी की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई थी। वे साउथ प्वाइंट स्कूल के छात्र थे। वहीं से वर्ष १९७५ में उन्होंने माध्यमिक पास की। उच्च माध्यमिक पास करने के बाद प्रेसीडेन्सी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वहां से ग्रेजुएशन पूरा किया। फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट किए। इसके बाद अभिजीत बनर्जी ने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी।
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गणित और अंग्रेजी पर थी अच्छी पकड़

अभिजीत के कॉलेज फे्रन्ड अभिजीत पाठक ने बताया कि अर्थशास्त्र के अलावा गणित और अंग्रेजी पर भी उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्हें नोबल मिलना खुशी की बात है।

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