उन्होंने कहा कि उनका फंडा कम से कम 45 प्रतिशत वोट लेना है। जो लोग बंगाल की राजनीति की समझ रखते है वो बताएंगे कि बड़ी संख्या में महिलाएं तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के पक्ष कर रही हैं। उन्होंने आठ से दस साल में किसी भी महिला को इतना लोकप्रिय नहीं देखा, जितनी ममता लोकप्रिय हैं। उनका आंकलन है कि ममता बनर्जी बड़े अंतर से जीत रही हैं।
हालांकि प्रशान्त किशोर ने स्वीकार किया कि बंगाल में भाजपा भी ताकतवर है। उन्होंने कहा कि बंगाल में भाजपा के ताकतवर होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। वे किसी को भी कम करके नहीं आंकते हैं। उन्हें लगता है कि किसी को अपने विरोध को कम करके नहीं आंकना चाहिए। भाजपा जैसी पार्टी को उनके जैसे साधारण लोगों की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि बंगाल चुनाव में पीएम मोदी की लोकप्रियता एक फैक्टर है। ध्रुवीकरण, दलित समाज के बड़ा वर्ग की ओर से भाजपा का समर्थन करना फैक्टर है। इसके अलावा हिन्दी भाषियों पर भाजपा की पकड़ है। यह सब बहुत बड़ा फैक्टर है। उनके अनुसार किसी भी पार्टी के लागातार दस साल सत्ता में रहने के बाद उसके खिलाफ कुछ हद तक लोगों की नाराजगी रहेगी ही। उनका काम यह समझना है कि लोगों में नाराजगी किसके खिलाफ है। क्या नाराजगी स्थानीय नेता के खिलाफ है या ममता बनर्जी के खिलाफ है। कुछ और क्षेत्रों में भी सरकार के प्रति लोगों में गुस्सा हो सकता है। इन सबके बाद भी जितने कारणों पर विचार करें तो देखा जा रहा है कि ममता बनर्जी अब भी सबसे अधिक कद्दावर नेता हैं। प्रशान्त किशोर ने दावा किया कि अधिकतर महिला मतदाता तृणमूल कांग्रेस के साथ है। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस को 45 प्रतिशत वोट हासिल करना मुश्किल नहीं है।