scriptआखिर क्यों गुम हो रहा बचपन? | Why is the missing childhood? | Patrika News
कोलकाता

आखिर क्यों गुम हो रहा बचपन?

– समय और करियर बनाने की चाहत बना मुसीबत- मोबाइल व इंटरनेट ने छीनी बच्चों की मासूमियत

कोलकाताNov 15, 2018 / 04:35 pm

Vanita Jharkhandi

kolkata west bengal

आखिर क्यों गुम हो रहा बचपन?

– यौन उत्पीडऩ के भी हो रहे शिकार

कोलकाता. समय की दौड़ में भागते हुए बच्चों ने अपना अपना बचपन ही खो दिया है। उनमें न वह चुलबुलापन है और न ही मासूमियत। उम्र से अधिक परिपक्व हो गए हैं। बाल विशेषज्ञों ने इस तरह की समस्याओं के लिए कई कारण बताए हैं। जिनमें

बालश्रम, गरीबी, अभिभावकों के पास समय का न होना, माता-पिता के रिश्ते में खटास, स्कूल का कारपोरेट माहौल बच्चों से बचपना छीन रहा है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रीतिश भौमिक ने बताया कि बच्चों के स्वाभाविक विकास में बाधा दी जा रही है। छोटी उम्र में ही उनमें करियर, प्रतिस्पर्धा की होड़ पैदा की जा रही है। बच्चों का यौन शोषण भी उनके स्वाभाविक विकास को बाधित करता है। गरीब वर्ग के छोटे बच्चों का कामकाजी होना उन्हें उम्र से पहले ही बड़ा बना देता है।

टेब, मोबाइल पर तीन घंटे से अधिक समय बिताने पर बच्चों में मधुमेह की शिकायतें बढ़ रही हैं। खेलकूद न कर पाने पर दिमाग व शरीर कमजोर हो रहा है।

कारण

– बचपप से ही अच्छे परिणामों का दबाव
– दोस्तों को प्रतिस्पर्धी मानना

– जिनके माता-पिता नौकरी करते हैं एेसे बच्चे अकेलापन झेलते हैं
– नौकरों के पास रहते हुए कई बार बच्चे यौन उत्पीडऩ का शिकार होते हैं

– माता-पिता के रिश्ते में खटास व घर में अशान्ति
– 5 साल के बच्चों के हाथों में भी मोबाइल थमाना

– पढ़ाई का बोझ अधिक होना, उसके बाद कोचिंग व ट्यूशन का दबाव
– बाहर खेलने की मनाही, अधिकांश अभिभावक बच्चा बिगड़ जाएगा इसलिए बाहर खेलने से रोकते हैं।

– मॉल संस्कृति, बच्चे को घुमाने के नाम पर मॉलों में ले जाना
– एकल परिवार, दादा-दादी न होने से उनका बचपन सींचने वाला कोई नहीं होता।

– अभिभावकों की अत्याधिक महत्वाकांक्षा से बच्चों में उदासीनता व कुण्ठा का पनपना

उपाय
विशेषज्ञों का कहना है कि जरा सी पहल से बच्चों के बचपन को खोने से बचाया जा सकता है।

– अभिभावक उनके साथ समय बिताएं तथा दादी-नानी को बच्चों के पास रखे
– महत्वाकांक्षाा को थोपने के बजाए बच्चे की इच्छा पर गौर करे।

– उसे स्वाभाविक तौर पर खेलने का मौका दे। घर गन्दा हो जाएगा या फिर ऐसे कोई खेलता है कहकर उसे न रोके।
– जब भी समय हो खुले मैदान व पार्क में बच्चों को खेलने,दौडऩे और खिलखिलाने दे।

– बच्चों के हाथ में मोबाइल देने में खुद को समृद्ध दिखाने की कोशिश न करे और न ही उन्हें मोबाइल पर अकेले ही बैठने का मौका दे क्योंकि वह उनकी स्वाभाविक कल्पना शक्ति और सोच को प्रभावित कर रही है।
– घूमने जाते वक्त बच्चों की मर्जी देखे। खुले पार्कों में घूमें।

– बच्चों के रोजमर्रा के व्यवहार आ रहे बदलाव पर गौर करें।
———-

महिला व शिशु कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से 2007 में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार 5 से 12 साल के बच्चे सबसे अधिक उत्पीडऩ का शिकार होते है। 69 प्रतिशत बच्चों ने शारीरिक रूप से उत्पीडि़त होते हैं। 53.22 प्रतिशत बच्चों ने माना है कि उनके साथ एक या एक से अधिक प्रकार से यौन उत्पीडि़त किया गया है। इसमें लड़के भी शामिल है।

Home / Kolkata / आखिर क्यों गुम हो रहा बचपन?

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो