समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान वक्ता व वीरता के लिए वायुसेना मेडल से सम्मानित क्लेर ने कहा कि दशकों से उनका परिवार देशसेवा में सक्रिय रहा। अपने दिवंगत पिता और 1९७१ के जंग के हीरो महावीर चक्र से सम्मानित मेजर जनरल हरदेव सिंह क्लेर की शौर्यगाथा का बखान करते हुए क्लेर ने कहा कि उनके पिता ने पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल नियाजी को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था। गर्व के साथ क्लेर ने कहा कि उनके पिता ने दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान के 2 टुकड़े कर उस समय बांग्लादेश का नाम लिख डाला। उस दौरान उन्होंने खुद भी पिता के संग बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लिया था। क्लेर ने कहा कि 1971 के जंग से ठीक 16 दिन पहले ही उनकी शादी एयर इंडिया में एयर होस्टेस की ट्रेनिंग ले रही शुची क्लेर से हुई थी। उस समय वे कलाईकुंडा में पदस्थापित थे। उनके दादाजी को भी ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश मेडल से सम्मानित किया गया था।