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बंगाल में बनेगा विश्व का पहला आटिज्म टाउनशिप

locationकोलकाताPublished: Jun 19, 2018 10:18:37 pm

Submitted by:

MANOJ KUMAR SINGH

दक्षिण 24 परगना जिले के उस्ति के पास डायमण्डहार्वर में 50 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा अटिज्म टाउनशिप

kolkata west bengal

बंगाल में बनेगा विश्व का पहला आटिज्म टाउनशिप

होगी आधुनिक अस्पताल, स्कूल-कॉलेज और एटिज्म बच्चों के प्रशिक्षण देने की व्यवस्था
कोलकाता
अब तक वृद्धा आश्रम, यतिम बच्चों के लिए होम बनाया गया है। दिमागी तौर पर बीमार आटिज्म बच्चे के बारे में कोई चिन्ता नहीं करता है। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार पश्चिम बंगाल में अतिआधुनिक आटिज्म टाउनशिप बनाने की योजना बनाई है। भारत में कहीं भी नहीं ऐसा टाउनशिप तो है ही नहीं, समूचा विश्व में भी नहीं है। सब कुछ योजना के अनुसार काम हुआ तो जल्द ही बंगाल में विश्व का पहला आटिज्म टाउनशिप बन कर तैयार होगा। इस टाउनशिप में आधुनिक मेडिकल सेवाएं और आटिज्म बच्चों को प्रशिक्षण देेने की सुविधा उपलब्ध होगी।
अपने तरह के उक्त एकलौता टाउनशिप दक्षिण 24 परगना जिले के उस्ति के पास डायमण्डहार्वर में 50 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा। इसका निर्माण नगरपालिका और नगर विकास निमग की ओर से बनाया जाएगा। नगरपालिका और नगर विकास निमग ने चौथा ग्लोबल बांग्ला औद्योगिक सम्मेलन के दौरान इसकी घोषणा की थी। शहरी विकास विभाग के सूत्रों ने बताया कि उक्त आटिज्म टाउनशिप में आधुनिक मेडिकल सेवाओं से लैस अस्पताल, आवसन, स्कूल, कॉलेज, डे केयर सेन्टर और कनफ्रेंस हॉल होगा। इसमें आटिज्म बच्चों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होगी। इसके अलावा कॉलेज में आटिज्म के संबंध में शोध करने का काम किया जाएगा।
600 करोड़ होगा निवेश
आटिज्म टाउनशिप तैयार करने के लिए 600 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई है। इसके लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है। इसके लिए राज्य सरकार को 39 हजार करोड़ रुपए निवेस का प्रस्ताव मिला है। इसका निर्माण का काम एक गैर सरकारी संस्था को दिया जाएगा।
क्या है आटिज्म रोग
आटिज्म न्यूरों से संबंधित बीमारी है। यह बीमारी पुरूष में होती है। जिन बच्चों को यह बीमारी होती है, उनकी दिमागी हालत सामान्य नहीं होती है। इनमें कई कमियां होती है, लेकिन ये किसी एक क्षेत्र में बहुत ही मेधावी और तेज होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पांच तरह के आटिज्म होते हैं। पहले तरह के आटिज्म बच्चे शान्त होते हैं। वे चुपचाप रहते हैं और जो कहा जाता है उसका पालन करते हैं और सीखते भी हैं। दूसरे तरह के आटिज्म बच्चे बहुत ही चंचल होते हैं। वे कुछ न कुछ करते रहते हैं। ऐसे बच्चे किसी क्षेत्र में बहुत ही तेज होते हैं। तीसरे तरह के आटिज्म बच्चों में कोई एक विशेष लक्ष्ण होता हैं। वह वही करते रहते हैं। ये आई कनटेक्त नहीं कर पाते और कुछ सीखने में इन्हें काफी समय लगता है। चौथे तरह के आटिज्म बच्चे कम सुनते हैं। लेकिन दिमाग के बहुत तेज होते है। जैसे ही वे सुनने लगते हैं तो वे किसी भी चीज पर ध्यान दे कर गहराई से सोचने लगते हैं और किसी एक क्षेत्र में बहुत आगे तक जाते हैं। पांचवे तरह के आटिज्म बच्चे सब कुछ सीखते हैं, लेकिन किसी से बात नहीं करते और अकेले में उन्हें खुद से बात करने की आदत होती है। ऐसे बच्चों को अकेले में नहीं छोड़ा जाता है।
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