संविधान में बदलाव की आवश्यकता
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल दीक्षित ने कहा कि हमारे संविधान के कई बिंदुओं पर बदलाव की आवश्यकता है। हमें अपना राजनेता चुनने के लिए अपनी सोच बदलने की जरूरत हैं। मतदाताओं को भी क्षणिक लाभ न देखकर अपने भविष्य को देखकर अपना नेता चुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले जब अपना सर्वे कराती है तो उन्हें ध्यान देना चाहिए कि कौन उन्हें जीत दिलाएगा की जगह ऐसे व्यक्ति को अपना उम्मीदवार चुने कि जो संविधान के मुताबिक परफेक्ट बैठता हो। स्वच्छ छवि का होने के साथ सबका लोकप्रिय हो।
जनप्रतिनिधि बनने के लिए निर्धारित हो योग्यता
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आरके मेश्राम ने कहा कि संविधान में सब कुछ तय है, लेकिन प्रजातंत्र में खामी यह है कि, हमने नेता चुनने के लिए तो उम्र की सीमा तय कर दी है पर योग्यता निर्धारित नहीं हैं। देश व जनता का प्रतिनिधत्व करने वाले व्यक्ति को राजनीति, समाज शास्त्र, अर्थशास्त्र का ज्ञाता होना चाहिए। इसके साथ ही चुने हुए प्रतिनिधि को जब दायित्व दिया जाए तो यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि, जिस क्षेत्र का दायित्व दिया जा रहा है वह उस क्षेत्र की जानकारी रखता हो। काननू व नियम बनाने में अपनी भूमिका निभा सकता है। वह अधिकारियों का केवल रबर स्टैम्प बनकर न रह जाए।
वादे का पक्का व दृढ़ निश्चयी व संकल्पित हो
तिलक पांडे ने कहा कि हमें ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए जो आम जनता के बीच में अपनी अच्छी छवि रखता हो, वह अपने वादे का पक्का व दृढ़ निश्चयी व संकल्पित हो। किसी प्रकार से अपराधिक मामले दर्ज न हुए हो साथ ही दलगत राजनीति से दूर हटकर राष्ट्रहित में काम करने वाला हो। चर्चा के दौरान प्रशांत दत्ता, लखनलाल पटेल, अनीष कुमार श्रीवास्तव, सुरेंद्र भट्ट, नरेश नाइक, जयदेव साहू व अशोक चौहान ने अपनी बात रखते हुए पत्रिका के अभियान में हिस्सा लिया। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने पत्रिका के इस अभियान की तारीफ करते हुए कहा कि यह अभियान निरंतर चलते रहना चाहिए। ताकी लोग जागरूक होकर अपना बेस्ट राजनेता चुन सके।