पीडि़ता ने घर जाकर घटना की जानकारी अपने पति को दी। इस पर पीडि़ता अपने पति व कुछ ग्रामीणों के साथ दूसरे दिन 6 अक्टूबर 2017 को फरसगांव थाने में आरोपी के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी। प्रकरण की विवेचना के बाद 354, 325 भादवि एवं धारा अजा और अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण में शासन की ओर नरेश नाईक विशेष लोक अभियोजक ने आरोपी पर आरोपित अपराध को सिद्ध कर दिया। जिससे विशेष न्यायाधीश अजा और अजजा (अत्याचार निवारण), कोण्डागंाव के न्यायाधीश ओंकार प्रसाद गुप्ता ने प्रकरण का विचारण कर अभियुक्त को धारा 376 (1) भादवि के अपराध में 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 500 रुपए के अर्थदण्ड, एवं धारा 325 भादवि के अपराध में 03 वर्ष के कठोर कारावास एवं 100 रुपए के अर्थदण्ड एवं धारा 3(2)(ट) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अपराध के लिए आजीवन कारावास एवं 500 रुपए के अर्थदण्ड, अर्थदण्ड न पटाने पर क्रमश: तीन माह, एक माह, तीन माह के अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा भुगताये जाने का आदेश पारित किया गया है।