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कोंडागांव

नेता भूले विकास करना पर ग्रामीण लोकतंत्र के महापर्व में डालेगें आहुति

ऑस्कर के लिए नामांकित फिल्म न्यूटन के कलाकारों की बस्ती समझ गई मतदान का महत्व

कोंडागांवNov 04, 2018 / 10:57 am

Badal Dewangan

ऑस्कर के लिए नामांकित फिल्म न्यूटन

नेता भूले विकास करना पर ग्रामीण लोकतंत्र के महापर्व में डालेगें आहुति

रामाकान्त सिन्हा/कोण्डागांव. बस्तर में लाल लड़ाकों की दस्तक व माओवादी घटनाओं के बीच होने वाले चुनावी माहौल को देश-दुनिया तक बालीवुड फिल्म न्यूटन के माध्यम से पहुंचाने वाले कलाकारों का गांव कोंगेरा आजादी के दशकों बाद भी मूलभूत सुविधाओं का बाट जोह रहा हैं।

गांव में न तो पीने की पानी की कोई उचित सुविधा है और न ही यहां तक पहुंचने का रास्ता ही बन पाया हैं। आज भी पगडंडी के सहारे ही लोग यहां आना-जाना करना इस इलाके में रहने वाले ग्रामीणों की मजबूरी हैं।
यह पंचायत कोण्डागांव जिले के अंतर्गत शामिल तो जरूर है, लेकिन विधानसभा नारायणपुर जिले में शामिल होने के चलते भी इस इलाके के जनप्रतिनिधि इस गांव को उतनी तवज्जों नहीं दे पाते जितना कि पंचायती राज में मिलना चाहिए। ज्ञात हो कि इसी गांव के आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों ने बालीवुड फि ल्म न्यूटन में अपनी अदाकारी का जादू बिखेरा हैं। यह फि ल्म आस्कर के लिए नामिनेट भी हो चुकी हैं। इस फि ल्म के माध्यम से इन ग्रामीण कलाकारों ने बस्तर में होने वाले चुनाव के परिदृश्य को फिल्म में बखूबी निभाया हैं।

गांव में विकास तो नहीं हुआ पर पहुंचे बैनर-पोस्टर
भले में पंचायत में सड़क व मूलभूत सुविधाओं का अभाव हो पर इस चुनावी माहौल में ग्राम कोंगेरा में भी देखने को मिल रहा हैं। यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि भले ही गांव तक न पहुंच पाते हो पर चुनावी सीजन में उनके नामों व सिम्बाल वाले बैनर-पोस्टर बड़ी मात्रा में इस पंचायत में देखने को मिल रहे हैं। इससे यह तो तय ही रहा कि, ग्रामीण सजग है पर यहां के जनप्रतिनिधि ही इन्हें ध्यान नहीं देते। और यही वजह है कि, ग्रामीणों को सालों से मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं।

फिल्म के बाद जाना लोकतंत्र के महापर्व की महत्ता
फि ल्म न्यूटन में काम करने वाले कलाकार झुनुराम, राजमन नेताम, सुखधर, महेश ने बताया कि वे चुनाव की महत्ता को नहीं समझ पाए थे, लेकिन जब उन्होंने फि ल्म में काम किया तब इस पूरी प्रकिया को समझा और जाना। वो इस बार अपने सभी कार्य को छोड़कर मतदान करने जाने की बात कह रहे हैं। वहीं रनयी नेताम कहती है कि, हमारे फि ल्म में काम करने से पहले लोकतंत्र के इस महापर्व को समझ नहीं पाए पर आज हमें यह समझ आ गया है कि हमें लोकतंत्र के इस यज्ञ में अपने मतदान की आहुति डालनी चाहिए।

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