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कोरबा

कौशल विकास प्रशिक्षण का ऐसा हाल, ट्रेनिंग के बाद भी रोजगार के लिए भटक रहे हैं युवा

बीते वर्ष में 5734 युवाओं को विभिन्न रोजगारमूलक विषयों पर टे्रनिंग दी गई। जिसमें महज 1258 युवाओं को ही रोजगार मिला।

कोरबाMar 06, 2018 / 10:44 am

Shiv Singh

कौशल विकास प्रशिक्षण  का ऐसा हाल, ट्रेनिंग के बाद भी रोजगार के लिए भटक रहे हैं युवा
कोरबा . मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत विभाग द्वारा ऐसी ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे ना तो अधिकांश युवाओं को रोजगार मिल रहा है न ही स्वरोजगार। बीते वर्ष में 5734 युवाओं को विभिन्न रोजगारमूलक विषयों पर टे्रनिंग दी गई। जिसमें महज 1258 युवाओं को ही रोजगार मिला। वहीं 625 स्वरोजगार से जुड़ सके।
इस योजना के तहत युवाओं का कौशल उन्न्यन कर उन्हें रोजगार दिलाना और स्वरोजगार से जोडऩा है। इसके लिए वीटीपी बनाकर विभागों और लाइवलीहुड कॉलेज के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लेकिन ये कितना कारगार है यह तो आंकड़े बता रहे हैं। वित्तिय वर्ष 2017-18 में 1258 को रोजगार देने का दावा किया जा रहा है। लेकिन ये रोजगार सिर्फ नर्स, सिक्युरिटी गार्ड, हेल्पर, ड्रायवर जैसे छोटे पद पर निजी जगहों पर नियुक्ति मिली है।
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विभाग भले इतने युवाओं को रोजगार दिलाने का दावा कर रहा है, लेकिन ये युवा वर्तमान में कार्यरत हैं कि नहीं इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। वहीं 625 ही महज स्वरोजगार से जुड़ सके हैं। विभाग द्वारा ऐसी कोई पहल नहीं की जाती जिससे उनको स्वरोजगार के लिए मदद मिल सके। आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को लोन दिलाने को लेकर भी सहायता नहीं मिल रही है। ऐसे में कौशल उन्नयन में शामिल होने वाले युवाओं को न तो उचित रोजगार मिल पा रहा है और न ही स्वरोजगार। सबसे गंभीर समस्या वेतन को लेकर आ रही है। अधिकतम ४ हजार से ६ हजार वेतन कौशल उन्न्यन वाले युवाओं को मिल रहा है। ऐसे में कोई भी युवा इतने कम वेतन में काम नहीं करना चाहता। यही वजह है रोजगार की संख्या कम हो रही है।

एनजीओ हो रहे मालामाल
अधिकांश एनजीओ द्वारा कौशल विकास योजना के तहत सुविधा नहीं दी जा रही है। कई जगह सिर्फ नाम के ही सेंटर चल रहे हैं। पिछले साल कुछ सेंटरों में इसी तरह के मामले सामने आए थे। तब विभाग ने नोटिस जारी कर सुविधाएं व मापदंड पूरे करने को कहा था। सिर्फ शहर मेेंं संचालित चुंनिदा सेंटरों में ही पूरी सुविधाएं है।

प्लेसमेंट कैंप नौ को, युवाओं की बंधी उम्मीदें
नौ मार्च को लाइवलीहुड कॉलेज में प्लेसमेंट कैंप आयोजित किया जाएगा। इसमें बेरोजगार युवाओं में एक बार फिर उम्मीदें बंधी है। इसके बाद २७ को फिर से कैंप आयोजित किया जाएगा। जिसमें कई जिलों से कंपनियां शामिल होंगी। इसी तरह अब लाइवलीहुड कॉलेज में १८० सीटर युवाओं की ट्रेनिंग होगी। हालांकि भवन छोटा जरूर है। लेकिन विभाग द्वारा तैयारी की जा रही है।

कौशल विकास में अब तक ये तीन विवादित मामले
– 15 दिन पूर्व कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण पाने वाले पहाड़ी कोरवा एक दर्जन युवा जनदर्शन में शिकायत करने पहुंचे थे कि उनको निजी संयंत्र प्रबंधक द्वारा चार माह बाद नौकरी से निकाल दिया गया। इस पर विभाग ने इन्हें फिर से काम दिलाने के लिए प्रयास नहीं किया।
– घंटाघर स्थित आईआईटीएम संस्था में मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन के तहत फर्जी डिग्री बांटने का मामला सामने आया था। जिस पर विभाग ने संस्थान को सील कर दिया था। लेकिन संस्थान प्रमुख पर एफआईआर के मामले में अधिकारियों ने चुप्पी साध ली।
– पशु पालन विभाग में ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण के लिए कई जगह ले जाया गया था। बाद में ये मामला फर्जीवाड़ा के रूप में सामने आया। जिसमें बोगस गाड़ी नंबर दिखाकर बिल बनवाया गया था।

-सबसे अधिक परेशानी वेतन को लेकर आ रही है। प्लेसमेंट में अधिकतम पांच हजार रूपए मिलते हैं। इस वजह से युवा काम करने में रूचि नहीं ले रहे। स्वरोजगार के लिए बैंक से लोन की प्रक्रिया से पीछे हटते हैं। हमारी पूरी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके- एसके दुबे, सहायक संचालक, आदिवासी विकास विभाग

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