कोरबा . रात में सो रहे ग्रामीण को अचानक हाथी की चिंघाड़ सुनाई दी। देखने के लिए उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक हाथी घर के सामने ही खड़ा था। हाथी से बचने के लिए वह थोड़ी दूर तबेले के पास भागकर पहुंचा ही था इसी बीच हाथी ने उसे सूंड से उठाकर फेंक दिया। घायल ग्रामीण जान बचाने के लिए वहीं पर सांस रोककर लेटा रहा। कुछ देर बाद जब हाथी वहां से चला गया, तब जाकर ग्रामीण ने आवाज देकर परिजनों को बुलाया। घायल ग्रामीण को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है।
बालको अंतर्गत ग्राम बेलाकछार में बुजुर्ग जेठूराम यादव 57 वर्ष निवास करता है। बुधवार की रात वह घर में सोया हुआ था। भोर में लगभग चार बजे अचानक गली के कुत्ते भौंकने लगे। हाथी की चिंघाड़ सुनकर जेठूराम की नींद खुल गई। किसी अप्रिय घटना की आशंका से वह उठकर घर के बाहर निकला। जहां उसके सामने एक हाथी शावक खड़ा हुआ था। जब तक जेठूराम मौके से भाग पाता। शावक ने उसे सूंड से उठा लिया और जमीन पर पटक दिया। जिसके बाद शावक मौके से आगे बढ़ गया।
हाथी के पीछे-पीछे कई और हाथी थे। बुजुर्ग चोटिल होने के बाद भाग नहीं पा रहा था। इसलिए उसने जान बचाने के लिए कुछ देर तक सांस रोककर पड़ा रहा। थोड़ी देर बाद सभी हाथी वहां से गुजर गए। तब उसने परिजनों को आवाज देकर बुलाया। आनन-फानन में उपचार के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां जांच में उसका एक हाथ फ्रैक्चर हुआ है। सिर पर भी चोंटे आई है। ग्रामीण काफी डर हुआ है। झुंड में हाथियों की संख्या लगभग 18 बताई गई है। बेलाकछार से हाथियों का दल भुलसीडीह की ओर आगे बढ़ गया है। जिसकी सूचना पर वन अमला हाथियों को खदेडऩे में जुटा हुआ है।
वहीं, सुबह शौच के लिए गया एक ग्रामीण भालुओं के हमले का शिकार हो गया। एक साथ तीन भालुओं ने उसपर हमला कर दिया। एक भालू ने ग्रामीण के हाथ को नोच लिया। काफी देर तक भालू ने जब हाथ नहीं छोड़ा। तो फिर ग्रामीण ने पूरा हाथ उसके हलख तक डाल दिया। भालू भी बौखला गया। उसने हाथ को झड़क दिया। इसके बाद ग्रामीण ने लकड़ी से भालुओं को भगाया।
उरगा थाना अंतर्गत ग्राम भैंसमा निवासी सीताराम गुरूवार की सुबह अपने खेत की तरफ गया हुआ था। जहां तीन भालुओं से उसका सामना हो गया। भालुओं ने सीताराम पर हमला कर दिया। दो भालू उसके पैर व सिर को जकड़े हुए थे। तो वहीं एक भालू सीताराम के दाएं हाथ को अपने दांतो से दबोच लिया था। काफी देर तक संघर्ष करने के बाद भी भालू हाथ को छोड़ ही नहीं रहा था। सीताराम ने अपना हौंसला नहीं खोया। और अपना पूरा हाथ भालू के मुंंह के अंदर पूरा घुसा दिया। जब हाथ भालू के हलख तक पहुंचा। तब भालू बैचेनी में हाथ को झिड़क कर छोड़ दिया। लेकिन उधर दो भालू उस पर हमला कर ही रहे थे। गंभीर रूप से घायल और दर्द से तड़पते सीताराम ने एक लकड़ी से भालुओं पर वार किया।
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