हाल ही में लोकसभा में किए गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने देश भर में बंद पड़ी जिन पांच इकाइयों के पुनरुद्धार किए जाने की जानकारी दी। उनमें कोरबा का नाम शामिल नहीं है। जिससे यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि भारत सरकार की कोरबा के दर्री स्थित बंद पड़े खाद कारखाने को शुरू करने की फिलहाल कोई मंशा नहीं है। पिछले पाचं वर्षों में दो बार केन्द्रीय मंत्री दर्री के उर्वरक संयंत्र का निरीक्षण कर चुके हैं। इसके बाद भी बात न बनती देख सांसद डॉ बंशीलाल महतो ने पिछले दिनो लोकसभा में इसे लेकर फिर से प्रश्न पूछा।
बुका तक के लिए बनी सडक़ अब उखडऩे लगी जवाब में विगत ५ फरवरी को केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा कि वर्ष २००२ में भारत सरकार ने एफसीआईएल की कुल आठ इकाईयों को बंद करने का निर्णय लिया था। यह सभी इकाईयां कई कारणों से निरंतर घाटे में चल रही थी। बंद की गई इकाईयों में सरकार ने वर्तमान में पांच इकाइयों क्रमश: एफसीआईएल के सिंदरी(झारखंड), तलचर(ओडिशा), रामागुंडम(तेलंगाना), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) और एचएफसीएल की बरौनी(बिहार) इकाइयों का पुनरुद्धार करने का निर्णय लिया है। इसलिए अब एफसीआईएल/ एचएफसीएल की उपरोक्त यूनिटों के पुनरुद्धार की प्रगति देखने के बाद देश में यूरिया की गांव व आपूर्ति की कमी के आकनल के आधार पर कोरबा, हल्दिया और दुर्गापुर इकाइयों के पुनरुद्धार पर निर्णय लिया जाएगा। जिससे कोरबा की उम्मीदों को एक बार फिर झटका लगा है। दर्री में 14 अप्रैल, 1973 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खाद कारखाने की नींव रखी थी। बाद में इस परियोजना से हाथ खींच लिए गए थे। यूपीए-1 सरकार ने कोरबा सहित देश के पांच स्थानों पर बंद कर दी गई खाद कारखाने की परियोजना के पुनरुद्धार को मंजूरी दी थी।
-पहले चरण में भारत सरकार ने देश के पांच खाद कारखानों के पुनरुद्धार का निर्णय लिया है। उसमें कोरबा का नाम शामिल नहीं है। लेकिन अन्य पांचो से प्रोडक्शन शुरू होने के बाद आने वाले एक-दो सालों में किसी न किसी योजना और नई तकनीक से कोरबा के खाद कारखाने को भी हर हाल में प्रारंभ किया जाएगा। डॉ बंशीलाल महतो,सांसद, कोरबा