READ MORE :
चोरी-छिपे किया जा रहा था दाह संस्कार, पुलिस को भनक लगते ही पानी डालकर बुझाया, फिर… इसकी सुनवाई कोरबा के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में हुई थी। मजिस्टे्रट ने पूर्व अध्यक्ष अग्रवाल को मानहानी की धारा 500 व 211 के तहत दो दो साल की साधारण कारावास और पांच पांच हजार रुपए का अर्थदंड लगाया था। धारा 182 के तहत छह माह की साधारण कारावास और एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया था। इसके खिलाफ पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने उपरी न्यायालय में अपील की थी। सुनवाई के बाद बुधवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सीजेएम कोर्ट की सजा को एडीजे कोर्ट ने हटाकर आधा कर दिया। न्यायाधीया योगेश पारीक की अदालत ने धारा 500 व 211 में एक एक साल की सजा और 182 में तीन माह की साधारण करावास की सजा सुनाया।
READ MORE :
बाड़ी से आवाज आने पर देखने पहुंचे सिंचाई कर्मी को हाथी ने सूंड़ से उठाकर पटकाये है मामला
अधिवक्ता कल्पना पांडे ने बताया कि उन्होंने 1997 में ट्रेनी एडवोकेट के तौर पर प्रेक्टिस किया था। इसके बाद एक साल बाद स्टेट बार काउंसिल द्वारा सनद प्रदान किया गया था। इसमें 1998 लिखा हुआ था। इस बीच एक केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनी एडवोकेट को 1997 से अधिवक्ता मानकर सनद जारी करने कहा था। कल्पना के सनद में सुधार नहीं हुआ था। बाद में उन्होंने स्टेट बार काउसिंल से सनद में सुधार करा लिया था। काउसिंल की ओर से पुराने सनद में ही सुधार कर दिया गया था। सफेदा लगाकर 1998 लिख दिया गया था। इसके बाद कल्पना ने सनद में सुधार कराने पूर्व अध्यक्ष के पास पहुंची थी। उन्होंने सफेदा को देखकर सनद को फर्जी करार दिया था।