कोरबा जिले में खनिज न्यास की खर्च की राशि को लेकर शुरू से ही सवाल उठे हैं। गैर जरूरी कार्यों पर खर्च, प्रभावित इलाकों के लिए प्लानिंग नहीं, जो कार्य हुए भी उसकी क्वालिटी पर तलवार लटकी हुई है। इसे देखते हुए कांग्रेस सरकार ने आते ही 2 जनवरी 2019 को प्रदेश भर में डीएमएफ के कार्यों पर रोक लगा दी थी। इस फंड के कार्यों पर रोक लगाने से सबसे अधिक प्रभावित कोरबा जिला हुआ था।
चुनाव के बाद प्रभारी मंत्री जयसिंह लेंगे पहली बैठक
लोकसभा चुनाव के पहले ही सरकार ने डीएमएफ कमेटी में बदलाव करते हुए जिले के राजस्व मंत्री को डीएमएफ का अध्यक्ष बनाया है। पहले कलेक्टर इसके अध्यक्ष होते थे। कलेक्टर अब सचिव होंगे। जबकि विधायक इसके सदस्य होंगे। आचार संहिता लगने की वजह से अब तक पहली बैठक नहीं हो सकी है। चुनाव के बाद प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल पहली बैठक लेंगेे।
5 अधिकारियों की टीम बनी, कार्यों का अवलोकन के बाद जारी होगी राशि
कार्यों पर रोक लगाने के आदेश के साथ सरकार ने निर्माणाधीन कार्यों को लेकर भी निर्देश दिया था कि उन कार्यों की भौतिक सत्यापन कराया जाएं। इसके तहत जिले में पांच अधिकारियेां की टीम बनाई गई थी। लेकिन चुनाव के बीच में आने से कार्येां का अवलोकन अब तक शुरू नहीं हो सका है। बहुत जल्द इस काम को भी टीम शुरू करेगी। उसके बाद कार्यों की स्थिति सामने आ सकेगी।
फर्जीवाड़े की बन रही फाइल, ऐसे कार्यों की हो सकती है जांच
पिछले कई साल से कोरबा विधायक व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल डीएमएफ के फर्जीवाड़े का मामला उठाते रहे हैं। अब उनके अध्यक्ष बनने के बाद जांच को लेकर अटकलें लगनी लगी है। बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़े वाले कार्यों की फाइल बन रही है। अगले महीने के पहले सप्ताह में इसपर आदेश हो सकता है। पीएचई, जनपद पंचायत, आदिवासी विकास विभाग व वन विभाग के कार्य सबसे अधिक जांच के दायरे में है।