श्रद्धालु, मूर्तिकारों द्वारा निर्मित छोटी-बड़ी प्रतिमाओं को वाहनों में रखकर उत्साहपूर्वक गणपति बप्पा मोरिया का जयकारा लगाते स्थापना स्थल तक ले जाने का सिलसिला रविवार की शाम से शुरू हो गया। शहर के पावर हाउस रोड, सीतामणी रोड, पुरानी बस्ती, अग्रेसन चौक सहित अन्य जगहों पर गणेशोत्सव की धूम रहेगी।
बैठी मुद्रा में प्रतिमा ज्यादा फलकारी
भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा बैठी हुई मुद्रा में पूजा करना ज्यादा फलकारी मानी जाती है। दरअसल सिहांसन में बैठे हुए गणेश जी उस दौरान प्रसन्न और आराम के मुद्रा में होते हैं। इसके आलावा खड़े हुए प्रतिमा की पूजा खड़े होकर तो बैठी हुई प्रतिमा की पूजा बैठकर करनी चाहिए। बैठे हुए पूजा करने को शास्त्रों में उत्तम माना जाता है।
मूषक भी जरूरी
भगवान श्रीगणेश के साथ उनका वाहन मूषक भी बहुत जरूरी माना जाता है। एक तो मूषक भगवान श्रीगणेश जी का वाहन है तो दूसरी बात मूषक के स्वभाव के अनुरूप ही हमें भगवान का आर्शीवाद मिलता है। जैसे मूषक किसी भी समान को काट देते है कि वह नया हो या पुराना ठीक उसी प्रकार माना जाता है की भगवान भी खुश होकर पूरी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं।