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कोरबा

होमगार्ड को अस्पताल की सुरक्षा के बदले नहीं मिले रुपए, अब निजी एजेंसी का सहारा

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व जिला अस्पताल के जेडीएस (जीवन दीप समिति) के बीच तालमेल की कमी है। इस वजह से मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था सुधर नहीं रही है।

कोरबाJun 27, 2022 / 07:12 pm

CHOTELAL YADAV

होमगार्ड को अस्पताल की सुरक्षा के बदले नहीं मिले रुपए, अब निजी एजेंसी का सहारा

होमगार्ड को अस्पताल की सुरक्षा के बदले नहीं मिले रुपए, अब निजी एजेंसी का सहारा

कोरबा. दूसरी तरफ प्रबंधन ने करोड़ों रुपए का निविदा जारी किया है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल अब भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवालों के घेरे में हैं। क्योंकि अस्पताल में एक माह से सुरक्षा कर्मी तैनात नहीं है और सीसीटीवी कैमरे भी बंद पड़े हुए हैं।

अस्पताल की सुरक्षा के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और डायरेक्टर जनरल होमगार्ड के बीच एक अनुबंध हुआ था। इसके अनुसार होमगार्ड के 12 जवान अस्पताल की सुरक्षा में तैनात किये गए थे। 2017 से 2021 तक होमगार्ड के जवानों ने मेडिकल अस्पताल में सुरक्षा की कमान संभाली।

लेकिन अस्पताल की ओर से होमगार्ड को राशि का भुगतान नहीं किया गया। इससे परेशान होमगार्ड के अधिकारियों ने अस्पताल में तैनात अपने जवानों को वापस बुला लिया। होमगार्ड के अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल से उन्हें एक करोड़ 11 लाख 83 हजार रुपए प्राप्त करना है। लेकिन जेडीएस के पास भुगतान के लिए राशि नहीं है।

अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपए का निविदा जारी किया है। निजी सुरक्षा एजेंसियों से आवेदन मंगाये गए हंै। इस पर अस्पताल के कर्मचारी भी सवाल खड़ा कर रहे हैं। मेडिकल अस्पताल प्रबंधन की दोहरी नीति से कर्मचारी परेशान हैं। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और जेडीएस के बीच समन्वय की कमी है। इसका खामियाजा यहां काम करने वाले कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।

ठेकेदारों को सीधे तौर पर फायदा
दोनों ही व्यवस्था में प्रबंधन के द्वारा निविदा प्रक्रिया जारी करने से सवाल उठने लगा है। कहा जा रहा है कि प्रबंधन का उद्देश्य व्यवस्था के नाम पर सीधे तौर पर ठेकेदारों को फायदा पहुंचने की प्रक्रिया का हिस्सा है। जबकि सुरक्षा व्यवस्था नगर सैनिक और सफाई व्यवस्था नई भर्ती कर पूरी की जा सकती है लेकिन प्रबंधन ठेके पर सफाई और अस्पताल की सुरक्षा का काम देने जा रहा है। इससे अस्पताल में नियमित रोजगार के अवसर कम होंगे।

स्वशासी समिति गठित, फिर भी फंड जेडीएस के खाते में
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के दावे के अनुसार पिछले डेढ़ साल से स्वशासी समिति का गठन चल रहा है, लेकिन अभी तक समिति का पता नहीं। जिला अस्पताल में अब भी पुरानी व्यवस्था के तहत जीवन दीप समिति के माध्यम से संचालित हो रही है। ओपीडी से लेकर एक्स-रे, जांच सहित विभिन्न शुल्क की राशि जेडीएस के खाते में जमा हो रही है।

अस्पताल को पटरी पर लाने की कवायद
स्वास्थ्य विभाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल को पटरी पर लाने की कवायद कर रहा है। लेकिन अव्यवस्था और अंदरूनी विभागों के बीच खींचतान इतनी है कि इसे संभालना मुश्किल होता जा रहा है।

सफाई के लिए भी एक करोड़ की निविदा जारी
मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सफाई व्यवस्था के लिए प्रबंधन ने हाल ही में एक करोड़ रुपए से अधिक का निविदा जारी किया है। जबकि छह माह पहले जेडीएस कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेज और जेडीएस पदाधिकारियों के मध्य काफी माथापच्ची हुई।

तब जाकर जेडीएस की बैठक में बड़ी मुश्किल से कर्मचारियों को 500 से एक हजार रुपए की बढ़ोतरी पर समिति बनी थी। इसमें भी अंशकालीन (चार से पांच घंटे कार्य) से ड्यूटी बढ़ाकर पूर्णकालीन (आठ से 10 घंटे की कार्य) किया गया था।

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