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कोरबा

100 करोड़ के ईएसआईसी अस्पताल को रेफरल सेंटर बनाने की तैयारी में

कोरबा. 100 करोड़ की लागत से बने ईएसआईसी अस्पताल को रेफरल सेंटर बनाने की तैयारी है। गंभीर स्थिति में मरीज को पहले ईएसआईसी अस्पताल आना होगा फिर वहां से अनुबंध वाले अस्पताल के लिए रेफर किए जाएंगे। ऐसे में सर्वसुविधायुक्त 100 करोड़ के अस्पताल के औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि वर्तमान में भी डिस्पेंसरी से मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जाता रहा है।

कोरबाAug 08, 2022 / 06:02 pm

CHOTELAL YADAV

100 करोड़ के ईएसआईसी अस्पताल को रेफरल सेंटर बनाने की तैयारी में

100 करोड़ के ईएसआईसी अस्पताल को रेफरल सेंटर बनाने की तैयारी में

दो साल बाद ईएसआईसी अस्पताल में शुरु हुई ओपीडी की सुविधा के बाद अब बीमित मजदूर और उनके परिवार आईपीडी के शुरु होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी ये सुविधा शुरु होने में देरी है, लिहाजा तब तक वैकिल्पक व्यवस्था के तहत निजी अस्पतालों से अनुबंध करने की तैयारी में ईएसआईसी प्रबंधन है।

2020 में बनकर तैयार हुआ ईएसआईसी अस्पताल का कोविड के इलाज के लिए दो साल तक जिला प्रशासन के ने अधिग्रहित कर रखा था। अप्रैल में अस्पताल भवन ईएसआईसी प्रबंधन को हैंडओवर हुआ। २४ मई को अस्पताल मेें ओपीडी की शुरुआत हुई। करीब सवा दो महीने बाद भी आइपीडी की शुरुआत नहीं हुई है। ओपीडी में मरीजों की सामान्य चेकअप और दवाई दी जा रही है जबकि आइपीडी में गंभीर स्थिति में बीमार व्यक्ति का उपचार भर्ती कर किया जाता है।

इसके पीछे कई वजह बताई जा रही है दरअसल अस्पताल में अब भी कई विभाग के विशेषज्ञों की भर्ती नहीं हुई है। सेटअप भी गिनती का है। केन्द्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा नई भर्ती नहीं की जा रही है न ही सेटअप के अनुरूप ट्रांसफर भी नहीं किया जा रहा है। इस वजह से अब ईएसआईसी प्रबंधन निजी अस्पताल से अनुबंध करने जा रहा है, ताकि वैकिल्पक इलाज की सुविधा मिल सके। टीम ने निजी अस्पताल का सर्वे कर लिया है। अपनी रिपोर्ट भी दे दी है।


खून, पेशाब की जांच के निजी लैब से हो रहा अनुबंध
आइपीडी के साथ-साथ खून-पेशाब की जांच के लिए भी अब निजी लैब से अनुबंध करने की तैयारी है। लैब के लिए भी पर्याप्त स्टॉफ अब तक नियुक्त नहीं हो सके हैं। यहां तक चीफ मेडिकल ऑफिसर भी रायपुर से ही अस्पताल की व्यवस्था संभाल रहे हैं। कोरबा के लिए अलग से सीएमओ की भी नियुक्ति नहीं हुई है।

परेशानी: रेफरल कराने से पहले ईएसआईसी फिर जाना होगा अनुबंध वाले अस्पताल
गंभीर स्थिति में अगर कोई मरीज होगा तो भी उसे पहले ईएसआईसी अस्पताल जाना पड़ेगा। फिर वहां के डॉक्टर अनुबंध अस्पताल के लिए रेफरल बनाएंगे। तब जाकर मरीज का इलाज सम्बंधित अनुबंध वाले अस्पताल में होगा। ऐसे में गंभीर स्थिति में मरीज को लेकर परिजन एक जगह से दूसरी जगह लेकर भटकते रहेंगे।

नियुक्ति के साथ ही खत्म हो जाएगा अनुबंध
बताया जा रहा है कि जिन निजी अस्पतालों से अनुबंध करने की तैयारी है उनसे इन बिंदुओं में अनुबंध किया जा रहा है कि जिस दिन ईएसआईसी के सभी विभाग में नियुक्ति हो जाएगी उस दिन अनुबंध स्वत: समाप्त हो जाएगा।

ओपीडी की वाहवाही लेने की होड़, अब सुध नहीं
जब ईएसआईसी अस्पताल में ओपीडी की शुरुआत हुई थी तब सांसद ज्योत्सना महंत समेत तमाम कांग्रेसी अस्पताल में पहुंचे थे। तब ये बताने की कोशिश की गई थी इलाज की सुविधा के लिए गंभीर है, लेकिन अब जब रेफरल सेंटर बनाने की तैयारी है तो किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।

आपातकालीन सुविधा शुरु करने की तैयारी
इधर ईएसआईसी प्रबंधन आपातकालीन इलाज की सुविधा शुरु करने की तैयारी में है। प्रबंधन का तर्क है कि गंभीर स्थिति में आए मरीज को आपातकालिन इलाज की सुविधा मिलेगी। ताकि रेफरल के दौरान मरीज को प्रांरभिक तौर पर इलाज जल्द मिल सके।

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