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कोरबा

एसईसीएल में लागू नहीं हो सका ठेका मजदूरों का बढ़ा हुआ वेतन, यूनियन ने लगाया ये आरोप…

– यूनियन का आरोप प्रबंधन नहीं ले रहा रूचि – ठेका मजदूर परेशान, आंदोलन के बाद भी नहीं निकला हल

कोरबाApr 27, 2019 / 11:32 am

Vasudev Yadav

एसईसीएल में लागू नहीं हो सका ठेका मजदूरों का बढ़ा हुआ वेतन, यूनियन ने लगाया ये आरोप...

एसईसीएल में लागू नहीं हो सका ठेका मजदूरों का बढ़ा हुआ वेतन, यूनियन ने लगाया ये आरोप…

कोरबा. एसईसीएल में ठेका मजदूरों का वेज रिविजन समझौते के आठ माह बाद भी लागू नहीं हुआ है। नए वेज पर अमल के लिए कोल इंडिया ने भी सर्कुलर जारी किया है। बावजूद इसके प्रबंधन रूचि नहीं ले रहा है। कोल इंडिया प्रबंधन और यूनियन के बीच कई दौर की बातचीत के बाद कोयला खदानों में काम करने वाले ठेका मजदूरों के लिए नया दर निर्धारित किया गया था। अकुशल कर्मचारियों को प्रतिदिन 787 रुपए और उच्च कुशल कामगार को न्यूनतम डेली वेज का भुगतान 877 रुपए देने की बात कही थी थी। यह सहमति सितंबर २०१८ में दिल्ली की एक बैठक में बनी थी। इसके तीन माह बाद कोल इंडिया की ओर से नए दर पर अमल के लिए सर्कुलर जारी किया गया, लेकिन एसईसीएल सहित अन्य अनुषांगिक कंपनियों ने अमल नहीं किया। कोयला खदानों में काम करने वाले कर्मचारियों को प्रबंधन पुराने दर पर मजदूरी भुगतार कर रहा है।

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मजदूरों का एटीएम ठेका कंपनियों के पास, अमल में लाने की चुनौती
कोल इंडिया ने ठेका कामगारों के न्यूनतम डेली वेज में बढ़ोत्तरी पर सहमति तो दी है। लेकिन इसे इमानदारी से लागू करना प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है। एसईसीएल में ठेके पर मजदूरी करने वाले कर्मचारियों का हाल किसी से छिपा नहीं है। ठेकेदार तय मजदूरी की दर से राशि का भुगतान नहीं करते हैं। हक मांगने पर मजदूरों को काम से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। मानिकपुर खदान में काम करने वाली एक ठेका कंपनी के खिलाफ मजदूरों ने एटीएम और पासबुक तक बंधक रखने की शिकायत पुलिस से की थी। दीपका, गेवरा और कुसमुंडा क्षेत्र में ठेका मजदूर ठेकेदारों के शोषण के शिकार हैं।

जिले में आठ से 10 हजार ठेका मजदूर
कोरबा जिले की अलग अलग खदानों में आठ से १० हजार ठेका मजदूर नियोजित हैं। ये मजदूर कोयला खनन से लेकर परिवहन तक के काम में लगे हुए हैं। लोडिंग का काम भी कंपनियां ले रही हैं। लेकिन इनको मजदूरी देने में आनाकानी कर रही है।

ठेका कर्मचारियों का नया वेज एसईसीएल में लागू नहीं हुआ है। प्रबंधन के साथ द्विपक्षीय बैठकों में कई बार उठाया गया है। लेकिन प्रबंधन गंभीर नहीं है।
लक्ष्मण चन्द्रा, श्रमिक नेता, बीएमएस

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