मजदूरों का एटीएम ठेका कंपनियों के पास, अमल में लाने की चुनौती
कोल इंडिया ने ठेका कामगारों के न्यूनतम डेली वेज में बढ़ोत्तरी पर सहमति तो दी है। लेकिन इसे इमानदारी से लागू करना प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है। एसईसीएल में ठेके पर मजदूरी करने वाले कर्मचारियों का हाल किसी से छिपा नहीं है। ठेकेदार तय मजदूरी की दर से राशि का भुगतान नहीं करते हैं। हक मांगने पर मजदूरों को काम से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। मानिकपुर खदान में काम करने वाली एक ठेका कंपनी के खिलाफ मजदूरों ने एटीएम और पासबुक तक बंधक रखने की शिकायत पुलिस से की थी। दीपका, गेवरा और कुसमुंडा क्षेत्र में ठेका मजदूर ठेकेदारों के शोषण के शिकार हैं।
जिले में आठ से 10 हजार ठेका मजदूर
कोरबा जिले की अलग अलग खदानों में आठ से १० हजार ठेका मजदूर नियोजित हैं। ये मजदूर कोयला खनन से लेकर परिवहन तक के काम में लगे हुए हैं। लोडिंग का काम भी कंपनियां ले रही हैं। लेकिन इनको मजदूरी देने में आनाकानी कर रही है।
लक्ष्मण चन्द्रा, श्रमिक नेता, बीएमएस