नाबालिग लड़के लड़कियों की गुमशुदगी को लेकर हाल में पुलिस विभाग की ओर से एक आंकड़ा जारी किया गया है। इसमेे बताया गया है कि पहली जनवरी, 2020 से आज दिनांंक तक 173 लड़के लड़कियां घर से लापता हो गए। इसमें लड़कों की संख्या 33 और लड़कियों की संख्या 140 थी।
यानी लड़कियों की गुमशुदगी का मामला लड़कों से चारगुना से भी अधिक है। समय पर सूचना और तकनीक की मदद से पुलिस ने लापता 140 लड़कियों में से 134 लड़कियों को बरामद कर लिया। कानूनी कार्रवाई के बाद लड़कियों को उनके माता पिता या अभिभावक को सौंप दिया गया है।
पुलिस ने 33 लड़कों को भी अलग अलग स्थानों से बरामद किया है। लेकिन कानूनी प्रक्रिया के दौरान नाबालिग लड़कियों का बयान पुलिस और बाल कल्याण समिति के सदस्यों की चिंता को बढ़ा देता है। ऐसी लड़कियों के समक्ष भविष्य में आने वाली चुनौतियों को सोचकर ही पुलिस और समिति के सदस्य हौरान हो जाते हैं।
जिस घर से माता पिता दोनों काम पर जाते हैं, वहां ज्यादा मामले
बाल कल्याण समिति में नाबालिग लड़के लड़कियों का बयान दर्ज करने वाले काउंसलर्स का कहना है कि १८ वर्ष से कम उम्र में लड़कियों में घर से भागने की घटनाएं स्लम बस्तियों में अधिक देखी जा रही है। खासकर उन घरों में जहां माता और पिता दोनों काम करने के लिए घर से बाहर जाते हैं और नाबालिग लड़के लड़कियां घर में रहते हैं। ये जल्दी लोगों के प्रलोभन में आ जाते हैं। घर छोड़ने का फैसला बहुत जल्दबाजी में लेतेे हैं।
मोबाइल बन रहा कारण
अधिकांश माता पिता ने लड़के लड़कियों को मोबाइल खरीदकर दिया है। यही मोबाइल उनके लिए नुकसान का कारण बन रहा है। माता पिता के बाहर रहने पर लड़के और लड़कियां किसी व्यक्ति से बातचीत करने लगते हैं। धीरे धीरे उनके बहकावे में आकर घर छोड़ देते हैं। लड़के लड़कियों की हाथ में मोबाइल हैंडसेट उन्हें गलत दिशा में जाने के लिए भी प्रेरित कर रहा है।
बाल कल्याण समिति के समक्ष ऐसे माता भी उपस्थित हुए हैं, जिन्होंने बताया कि उनकी लड़की अनजान युवक से बंद कमरे में फोन पर बाते करती थी। समझाइस देने पर घातक कदम उठाने की धमकीद देती थी। यह सुनकर माता पिता डर जाते थे और उन्हें कुछ नहीं बोलते थे।
स्कूल बंद होने के बाद घर छोड़कर भागने वालों की संख्या बढ़ी
कोरोना वायरस से संक्रमण की आंशका के कारण स्कूल और कॉलेज लगभग डेढ़ साल से बंद हैं। इस स्थिति में पढ़ाई की ओर लड़के लड़कियों का झुकाव कम हो गया है। घर में रहने में उनकी रूचि कम हो गई है। वे घर से बाहर जाने के लिए सोचने लगते हैं। इस स्थिति में माता पिता की उपेक्षा उन्हें घर से बाहर जाने के लिए मजबुर करती है।
20 दिन मेे 10 लड़कियां बरामद
लापता नाबालिग लड़के लड़कियों की जानकारी को लेकर पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने मंगलवार को एक बैठक ली। इसमें एएसपी कीर्तन राठौर, रामगोपाल कारियारे, खोमलाल सिन्हा सहित अन्य सीएसपी शामिल हुए। बैठक में लापता बच्चों की तलाश के लिए अभी तक किए गए प्रयोसों की जानकारी ली गई। खोजबीन करने के लिए प्रेरित किया गया।
पुलिस की ओर से बताया गया है कि 20 दिन में पुलिस ने 10 लापता लड़कियों को खोज लिया है। उन्हें माता पिता को सौंप दिया है। दो लड़कों को भी पुलिस ने बरामद किया है। पुलिस ने यह भी बताया कि जुलाई में 04 लड़के, 05 लड़कियां लापता हुई थी। इसमें 02 लड़के और 04 लड़कियों को बरामद किया गया है। इसके लिए झारखंड और भिलाई तक टीम को भेजी गई थी।