हाल ही में टीबी एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. शशिकांत भास्कर व डॉ. विवेक खांडेकर की पदस्थापना हुई है। दोनों ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना से ऊर्जाधानी के लिए काफी फायदेमंद होगा। प्रदूषण की वजह से सबसे अधिक मरीज टीबी, फेफड़ा व चर्म रोग से पीड़ित हैं,
लेकिन अब तक उन्हें शासकीय अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने की वजह से मरीजों को रायपुर व बिलासपुर के मेडिकल कॉलेज व सरकारी अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ रहा था या फिर निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ रहा था। इससे मरीज व उनके परिजनों का खर्च अधिक होने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
मेडिकल कॉलेज में मरीजों को जरूरी सुविधाएं मिल सके इसके लिए शासन-प्रशासन दोनों की ओर से कोशिश की जा रही है। हाल ही में प्रबंधन ने रात्रि में भी एक्स-रे करने के लिए आदेश जारी किया था। अभी तक जिला अस्पताल में दिन के समय ही एक्स-रे और सोनोग्राफी हुआ करती थी।
रात में यहां पहुंचने वाले मरीजों को काफी तकलीफ हो रही थी। अस्पताल प्रबंधन एक्स-रे के टाइम में लंबे समय से विचार कर रहा था लेकिन विशेषज्ञ और कर्मचारियों की कमी बनी हुई थी। अब कमी दूर होने के बाद प्रबंधन ने जरुरत पड़ने पर रात में भी मरीजों का एक्स-रे करने का निर्णय लिया है इसके लिए एक सर्कुलर जारी किया गया है।
प्रबंधन को एनएमसी के रिपोर्ट का इंतजार
मेडिकल कॉलेज कोरबा को नए शिक्षा सत्र से पढ़ाई शुरू करने की मान्यता को लेकर अटकले अब भी बनी हुई है। बताया जा रहा है कि ३० जून तक मान्यता की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इधर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन वर्चुअल निरीक्षण के बाद से दावा कर रही है। एनएमसी की टीम ने संतुष्टी जाहिर किया, लेकिन पिछले दो साल से यही दावा करती आई है और इस बार सिटी स्कैन मशीन को लेकर प्रश्न किए गए थे। प्रबंधन ने दो माह के भीतर शुरू करने का हवाला दिया था, लेकिन अभी तक सिटी स्कैन मशीन की खरीदी को लेकर निविदा की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
हर साल दो हजार नए मरीज आते हैं सामने
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल लगभग दो हजार के करीब टीबी के नए मरीज मिलते हैं। समय पर उपचार नहीं मिलने की वजह से कई बार सेहत में गंभीर हो जाती है।
प्रशासनिक भवन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
एक तरह मेडिकल कॉलेज कोरबा में शुरू करने के लिए शासन स्तर पर भरसक प्रयास किया जा रहा है। विशेषज्ञ और प्राध्यापकों की भर्ती व नवपदस्थापना जारी है, लेकिन अभी तक प्रशासनिक भवन को स्थिति स्पष्ट नहीं है। कॉलेज संचालन के लिए आईटी कॉलेज का भवन को प्रबंधन ने अधिग्रहण कर लिया है। इसके अलावा २५ एकड़ जमीन कॉलेज के पास और ८६ एकड़ जमीन सीएसईबी पूर्व की बंद प्लांट का चयन किया गया है, लेकिन इसमें निर्माण में अभी वक्त लगेगा।
प्रदूषण की सबसे अधिक समस्या
कोरबा में अधिकांश क्षेत्र कोयला खदान से प्रभावित है। कोयला खनन, वाहनों के दबाव सहित अन्य प्रदूषण की वजह से लोग टीबी और चर्म रोग की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन कोरबा के सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ नहीं होने की वजह से लोग काफी परेशान थे।