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कोरबा

एनटीपीसी सीपत सहित अन्य उद्योगों को कोयला आपूर्ति में कमी, प्रबंधन की चिंता बढ़ी, ये है वजह…

Reduction of coal supply : एसईसीएल (SECL) की मेगा प्रोजेक्ट में दीपका और गेवरा खदान है। कंपनी के कुल उत्पादन का आधा से अधिक हिस्सा दोनों खदानों से किया जाता है। इस साल दीपका से कंपनी ने 35 मिलियन टन कोयला खनन (Coal Mining) का लक्ष्य रखा है।

कोरबाJul 20, 2019 / 11:49 am

Vasudev Yadav

कामगारों के आश्रितों को नहीं मिल रहा लाभ

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कोरबा. बारिश का मौसम और दीपका खदान से मिट्टी खनन पर फंसी पेंच से स्टॉक में कोयले की कमी (Reduction of coal supply ) हो गई है। इसका असर एनटीपीसी (NTPC) के सीपत संयंत्र को होने वाली बिजली की आपूर्ति पर पड़ी है। दीपक खदान से सड़क के जरिए होने वाला परिवहन भी ठप हो गया है। लगातार घटते उत्पादन से स्थानीय प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है।
कोयले का खनन (Coal Mining) मिट्टी के उत्खनन पर निर्भर है, जो कंपनी ठेके पर कराती है। इस बार मिट्टी खनन पर पेंच फंस गया है। नई कंपनी ने मिट्टी खनन का काम चालू नहीं किया है। इससे खदान से मिट्टी खनन बुरी तरह प्रभावित हुई है। कंपनी की कुछ गाडिय़ां खनन में लगी है, लेकिन इनकी संख्या बेहद कम है। खदान से मिट्टी नहीं हटाने से कोयले के उत्पादन (Coal production) पर असर पड़ा है। (Reduction of coal supply)
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प्रति दिन औसत 40 से 50 हजार टन कोयले का खनन (Coal Mining) ही हो रहा है। स्टॉक में कोयले की कमी पड़ गई है। डिस्पेच पर भी असर पड़ा है। एनटीपीसी के सीपत संयंत्र को रोजना 30 से 35 हजार टन कोयले की आपूर्ति की जा रही है। जबकि जरूरत रोजाना 44 हजार टन की है। संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहा है।
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वॉशरी भी कोयले की किल्लत
खदान के स्टॉक में कोयला (Coal) कम होने का असर क्षेत्र के आसपास स्थित कोलवॉशरियों पर भी पड़ी है। कोयले की संकट (Coal crisis) से क्षेत्र की एक निजी कंपनी की ढेरों गाडिय़ां खड़ी हो गई है। कंपनी ड्राइवर की छंटनी भी कर रही है। कंपनी ने ड्राइवरों के वेतन में भी कटौती की है। इससे ड्राइवर परेशान हैं।

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