जारी निर्देश में कहा गया है कि सीवर लाइन, सेप्टिक टैंक व मेनहोल की सफाई को मानव बल से कराएं जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। नगर निगम, पालिका व पंचायत क्षेत्र की कॉलोनी में इन जगहों की सफाई कर्मियों से ना कराएं जाएं। अगर कराया जाता है तो उसपर अब जुर्माने के साथ कार्रवाई की जाएगी। इन जगहों की सफाई मशीनों से ही कराई जाएगी। इसकी रिपोर्ट भी निकाय को देनी होगी। कोरबा निगम के साथ कटघोरा में भी सीएमओ प्रवेश चन्द्र कश्यप ने भी मंगलवार को ठेकेदारों को निर्देश जारी किया गया।
पूर्व में कर्मचारियों से कराते पकड़े गए थे
पूर्व में सफाई कर्मियों से सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए सार्वजनिक उपक्रम को निगम ने पकड़ा था। विद्युत कंपनी की पूर्व कॉलोनी में कर्मचारी से सफाई कराई जा रही थी। सफाई कर्मचारी आंदोलन के पदाधिकारियोंं की शिकायत के बाद टीम ने औचक निरीक्षण कर इसे पकड़ा था।
सफाई कर्मियों के पास सुरक्षा के साधन नहीं
सफाई कर्मियों के पास सुरक्षा के साधन नहीं दिए गए हैं। लगभग हर निकाय का एक जैसा हाल है। बिना साधन के ही सीवर लाइन में कर्मियों को उतार जाता है। निकाय पूरा ठीकरा ठेकेदारों पर फोड़ देते हैं। लेकिन असली जिम्मेदारी निकायों पर होती है। अक्सर ठेका सफाई कर्मी काम के दौरान घायल हो जाते हैं। ठेकेदार द्वारा सफाई को लेकर सामग्री नहीं दी जाती। कोरबा निगम के साथ-साथ अन्य निकायों का भी हाल ऐसा ही है। सफाई कर्मचारी कई बार इसकी मांग कर चुके हैं।
चार निकायों के पास गाड़ी ही नहीं
कोरबा निगम को छोड़ शेष निकायों के पास ऐसी बड़े व गहरे सेप्टिक टैंक से कचरा खींचने के लिए वाहन ही नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक तरफ कर्मचारियों से सफाई पर तो प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन अब निकाय सफाई कैसे कराएंगे।