चालू वित्तीय वर्ष में एसईसीएल को 170.5 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य सरकार ने दिया है। इसके लिए कंपनी प्रयास कर रही है। छह मार्च तक कंपनी ने लक्ष्य के विरुद्ध 131.67 मिलियन टन कोयला खनन किया था। मंजिल तक पहुंचने के लिए एसईसीएल के पास 24 दिन का वक्त बचा है। इस अवधि में 39 मिलियटन टन कोयला खनन किया जाना है, लेकिन यह लक्ष्य एसईसीएल के लिए पहाड़ जैसा है। इसका बड़ा कारण कोरबा जिले की खानों से कोयला खनन कम होना है। खनन में आ रही अड़चन से कोयला खदाने लक्ष्य तक नहीं पहुंच रही हैं। इससे मंजिल मुश्किल होती जा रही है।
Holi 2020: सावधान! पहाड़ के नीचे बसे इस गांव में होली खेलना है मना एसईसीएल के कुल उपादन लक्ष्य में कोरबा जिले की खदानों का हिस्सा 137.86 मिलियन टन है। अभी तक जिले की खदानों से 102 मिलियन टन कोयला खनन हुआ है। 24 दिन में कोरबा की खदानों से 35 मिलियन टन खनन बेहद मुश्किल लक्ष्य है। इसके बावजूद स्थानीय प्रबंधन मंजिल तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
दीपका
दीपका से सालाना 35 मिलियन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। अभी तक 20.67 मिलियन टन खनन हुआ है। 24 दिन में 15 मिलियन टन दीपका से वर्तमान संसाधन के बूते संभव नहीं है। लक्ष्य में कमी का कारण बारिश में खदान में जलभराव को बताई जा रही है।
कुसमुंडा
मेगा प्रोजेक्ट से 45 एमटी खनन लक्ष्य है। कोयला की जरुरत को देखते हुए सरकार ने खदान से पांच एमटी और खनन की स्वीकृति प्रदान की है, लेकिन अभी तक कुसमुंडा से 36.38 मिलियन टन उत्पादन हुआ है।
गेवरा
गेवरा 45 मिलियन टन उत्पादन लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। प्रबंधन 39.71 एमटी खनन कर लिया है। उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष में स्थानीय प्रबंधन लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। हालांकि स्थानीय समस्याएं आड़े आ रही हैं।
कोरबा
कोरबा एरिया की ओपेन कॉस्ट और अंडर ग्राउंड खान से 7.86 मिलियन टन का खनन लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 6.16 एमटी खनन हुआ है। उत्पादन लक्ष्य तक पहुंचाने में मानिकपुर खदान की भूमिका महत्वपूर्ण है।