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कोरबा

जंगल के भीतर अच्छी क्वालिटी का तेंदूपत्ता और महुआ चुनना पड़ रहा भारी

दो महीने में भालू के १० हमले, हर बार इसी सीजन में बढ़ते हैं हमले वन विभाग कर रहा मना, फिर भी लोग जा रहे जंगल के भीतर

कोरबाApr 17, 2019 / 10:02 pm

Vasudev Yadav

दो महीने में भालू के १० हमले, हर बार इसी सीजन में बढ़ते हैं हमले

जंगल के भीतर अच्छी क्वालिटी का तेंदूपत्ता और महुआ चुनना पड़ रहा भारी

कोरबा. जंगल के भीतर अच्छी क्वालिटी का तेंदूपत्ता और चुनना बीनना ग्रामीणों को अब भारी पडऩे लगा है। पिछले दो महीने में भालू ने १० हमले किए हैं। इस सीजन में हमलों की तादाद बढ़ी है। भालुओं के बढ़ते आतंक को देखते हुए वन विभाग द्वारा अब अलर्ट जारी किया जा रहा है। गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को समझाइश दी जा रही है कि तेंदूपत्ता तोडऩे के लिए समूह में जाएं। साथ ही अपने साथ डंडे या फिर दूसरे साधन भी रखें जिससे भालुओं को भगाया जा सके।
जिले के जंगलों में एक ओर जहां हाथियों का उत्पात जारी है तो वहीं भालुओं का भी हमला लगातार जारी है। इससे सबसे अधिक प्रभावित कोरबा वनमंडल क्षेत्र के ग्रामीण है। रजगामार, कोरकोमा, पसरखेत, श्यांग, करतला क्षेत्र में भालू हमले की घटना लगातार सामने आ रही है। इसी क्षेत्र में हाथियों ने भी उत्पात मचा रखा है। इन दिनों तेंंदूपत्ता तोडऩे और संग्रहण का काम चल रहा है। इसलिए ग्रामीण जंगलों की तरफ रोजाना जा रहे हैं। इस वजह से भालुओं के हमले बढ़ रहे हैें। गांव से ग्रामीण समूह में जंगल जाते हैं, यहां अलग-अलग जगहों पर तेंदूपत्ता तोड़ते रहते हैं। इसी बीच भालू अकेले पाकर हमला बोल देते हैं। यही हाल कटघोरा वनमंडल के रेंज के कई जंगल में भी है। कोरबा व पसान रेंज में सबसे अधिक भालू के हमले बढ़े थे। बढ़ते हमलों को देखते हुए अब वन विभाग द्वारा ऐसे प्रभावित क्ष्ेात्रों में अलर्ट जारी करवाया जा रहा है। गांव में जाकर मुनादी कराई जा रही है कि जंगल में अकेेले तेंदूपत्ता न तोड़े। समुह में जाएं और साथ रहें। और सबसे अहम बात कि साथ में डंडे भी रखने कहा गया है। ताकि भालुओं को आसानी से खदेड़ा जा सकें।

तेंदूपत्ता सग्रांहकों पर दबाव कि बेहतर क्वालिटी का ही हो पत्ता
तेंदूपत्ता संग्राहकों पर दबाव रहता है कि वे बेहतर से बेहतर क्वालिटी का पत्ता तोडक़र लाएं। जितनी अच्छी क्वालिटी का पत्ता होता है उस समूह का अगले साल के लिए रेट और भी अधिक हो जाता है। गांव के आसपास मैदानी इलाकों में पत्तों का स्तर बहुत अच्छा नहीं होता। इसलिए मजबूरी में ग्रामीणों को तेंदूपत्ता तोडऩे जंगल के भीतर जाना पड़ता है।

औसत हर साल ३० मामले भालू के हमले के
पिछले कई साल से भालू के हमले का औसत निकाला जाएं तो हर साल ३० हमले भालू के सामने आ रहे हैं। २०१७-१८ की बात की जाएं कुल २८ मामले सामने आए थे। जबकि २०१८-१९ मेंं ही भालू के २५ हमले सामने आए थे। इस तरह हर साल भालू के हमले बढ़ रहे हैं।

हमले के बाद मिलता है तत्कालिक मुआवजा सिर्फ ५ सौ रुपए
भालू के हमले के बाद तत्कालिक मुआवजा सिर्फ ५ सौ रुपए ही विभाग द्वारा जाता है। शासन द्वारा इसके लिए इतना ही दर तय किया गया है। जबकि भालू के हमले के बाद अधिकांश हमले में किसी के आंख तक को भालुओं ने नोंच डाला था। जबकि कई बार सिर्फ, पैर व जांघ में गंभीर रूप से जख्मी किया जा चुका है। हालांकि विभाग द्वारा आगे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

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