आंदोलनकारियों द्वारा दोनों गेटों को जाम कर देने से दिन भर से अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में ही फंसे हुए हैं और पहले दौर की वार्ता विफल हो जाने के बाद आंदोलनकारियों द्वारा घेराव जारी रखने की घोषणा से रात में भी उनके निकलने की कोई संभावना नहीं है।
पहले दौर के वार्ता में 31 गांवों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। एसईसीएल प्रबंधन ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए 15 दिनों का समय मांगा, जिसे आंदोलनकारियों ने ठुकरा दिया है और बिलासपुर मुख्यालय से जिम्मेदार अधिकारियों को बुलाकर वार्ता करने की मांग पर अड़ गए हैं। माकपा नेता प्रशांत झा का कहना है कि इन मांगों पर ज्ञापन देने और घेराव की चेतावनी देने और इन्हीं मांगों पर कई-कई बार आंदोलन करने के बाद स्थानीय प्रबंधन के साथ वार्ता करने का कोई तुक नहीं है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आंदोलनकारी मुख्यालय पर डेरा डाले हुए हैं ।
10 दिन से थी घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन की तैयारी
रोजगार और पुनर्वास से संबंधित 16 सूत्रीय मांगों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ ने 30 जून से गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करने की घोषणा की थी। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पिछले 10 दिनों से चल रहे अभियान के नतीजे में गोद में बच्चे लिए महिलाओं सहित हजारों ग्रामीण रैली निकालकर मुख्यालय को आज सुबह 10 बजे से ही घेर लिया है। किसान सभा ने ऐलान किया है कि निर्णायक फैसले के बाद ही आंदोलन खत्म होगा।
गेट के बाहर ही महिलाएं बना रही खाना
घेराव कर रहे लोगों में महिलाओं की संख्या अधिक है और उन्होंने मुख्यालय के सामने ही रात का खाना बनाना शुरू कर दिया है। एसईसीएल के आश्वासन से परेशान भूविस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। घेराव करने वालों में नरईबोध, गंगानगर, मड़वाढोढा, भठोरा, भिलाईबाजार, रलिया, बरभांठा, गेवरा बस्ती, बरेली, भैसमाखार, मनगांव, रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी आदि गांवों के भूविस्थापित शामिल हैं।
ये हैं नेतृत्वकर्ता
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, किसान सभा के जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, रोजगार एकता संघ के दामोदर श्याम, रेशम, रघु, सुमेन्द्र सिंह, बलराम,मोहन, प्रभु और दीना के साथ प्रभावित गांवों के प्रवीण राठौर, नंदलाल कंवर, सूरज, दिलहरण, जगदीश, देव कुंवर, संजय, पुरषोत्तम, देवेंद्र, धीरा बाई, पूर्णिमा, चंपा बाई, बसंत चौहान, अमृता बाई, मोहन, हरी, छत्रपाल आदि नेतृत्व कर रहे हैं।