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कोरबा

यूनियन ने आउटसोर्सिंग के 70 हजार मजदूरों को बोनस पर नहीं दिया साथ, कंपनी नहीं करेगी भुगतान

– श्रमिक संगठनों की ढुलमुल नीति से मजदूरों में आक्रोश.

कोरबाOct 16, 2021 / 06:21 pm

CG Desk

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कोरबा. कोयला उद्योग में मजदूरों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन ने बोनस के मुद्दे पर आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों का साथ नहीं दिया है। इससे आउटसोर्सिंग के मजदूरों को बोनस का मुद्दा खटाई में पड़ गया है। कंपनी ने भी बोनस देने से इनकार कर दिया है।

इससे खदानों में काम करने वाले ठेका मजदूर खुद को ठगा हुआ मान रहे हैं। एसईसीएल की कोयला खदानों में लगभग 70 से 80 हजार मजदूर ठेका कंपनियों में काम करते हैं। कामगारों को बोनसे के मुद्दे पर चार अक्टूबर को दिल्ली में बैठक हुई थी। इसमें कोल इंडिया के अधीन काम करने वाले नियमित कर्मचारियों के बोनस की घोषणा की गई थी। उन्हें बोनस मिल सके इसके लिए यूनियन ने प्रबंधन के साथ लंबी बैठक की थी। 72 हजार 500 रुपए नियमित कर्मचारियों के बोनस भुगतान पर सहमति बनी थी। लेकिन इस बैठक में श्रमिक संगठनों ने आउटसोर्सिंग के मजदूरों का साथ नहीं दिया। उनके लिए बोनस या लाभांस की कुछ राशि देने की मांग नहीं किया। फाइलों की जाल में बोनसे के मुद्दे को फंसा दिया। कोल इंडिया के प्रबंधन पर भी ऐसा कोई सर्कुलर जारी करने के लिए दबाव नहीं बनाया, जिससे की आउटसोर्सिंग के मजदूरों को बोनस या प्रोफिट लिंक स्कीम के तहत लाभ मिल सके। नियमित कर्मचारियों के बोनस की सोशल मीडिया पर जानकारी देने वाले श्रमिक नेताओं ने आउटसोर्सिंग के मजदूरों पर कुछ नहीं कहा। अब नियमित कर्मचारियों को बोनस का भुगतान होने के बाद आउटसोर्सिंग के कर्मचारी ठेका कंपनियों से बोनस की मांग कर रहे हैं। इसके लिए कुसमुंडा की एक कंपनी में काम करने वाले मजदूर 24 घंटे से हड़ताल पर बैठे हैं। कुसमुंडा के स्थानीय प्रबंधन ने भी आउटसोर्सिंग के मजदूरों को बोनस भुगतान से संबंधित कोई आदेश नहीं होने का हवाला देकर हड़ताल को खत्म करने के लिए कहा है।

मासिक वेतन 21 हजार से अधिक इसलिए बोनस नहीं
इधर, एसईसीएल में कार्मिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत एक अधिकारी ने बताया कि बोनस एक्ट 1956 के अनुसार आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले जिन कर्मचारियों का मासिक वेतन 21 हजार से अधिक है। उन्हेे बोनस का लाभ नहीं मिल सकता है। एसईसीएल में आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन हाई पॉवर कमेटी की सिफारिश पर न्यूनत 930 रुपए प्रतिदिन किया जा रहा है। इस स्थिति में मजदूर का मासिक वेतन 21 हजार रुपए से अधिक होता है। बोनस का देना संभव नहीं है। कंपनी में सिविल कार्य करने वाले ठेकेदार भी मजदूरों की संख्या 20 या इससे कम बताते हैं। इस स्थिति में बोनस नहीं दिया जा सकता है। बोनस एक्ट के प्रवधान से कोल इंडिया के सभी श्रमिक संगठन अवगत हैं। फिर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे की ठेका मजदूरों को दशहरा से पहले राशि का भुगतान किया जा सके।

यूनियन ने दिया होता था तो अलग होती परिस्थितियां
दशहरा में बोनस नहीं मिलने से ठेका मजदूर खुद को ठगा हुआ मान रहा है। इसे यूनियन द्वारा दिया गया धोखा कह कहा है। चार अक्टूबर की बोनस में शामिल सभी यूनियन की आलोचना हो रही है। इस बीच एचएमएस नेता नाथूलाल पांडे ने 12 अक्टूबर को कोल इंडिया के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है। कोयला के उत्पादन में ठेका मजदूरों को बराबर का हिस्सेदार बताया है। लाभांस से ठेका मजदूरों को 25- 25 हजार रुपए देने की मांग की है। लेकिन आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले मजदूर इसे विरोध को शांत करने की एक कोशिश भर मान रहे हैं।

आउटसोर्सिंग के मजदूरों को बोनस देने के लिए कोल इंडिया ने एक पत्र लिखा था। लेकिन इस पत्र से बोनस नहीं मिलने वाला है। मजदूर संगठित नहीं हैं। इसका यह परिणाम है। एचएमएस ने लाभांस में से मजदूरों को 25- 25 हजार रुपए देने के लिए चेयरमैन को पत्र लिखा है।
– नाथूलाल पांडे, अध्यक्ष, एचएमएस

आउटसोर्सिंग के मजदूर कोयला उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्हें बोनस दिया जाना चाहिए। यह राशि कंपनी दे या ठेकेदार मजदूरों को लाभ मिलनी चाहिए। उनकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
– वीएम मनोहर,महासचिव, सीटू

कोल इंडिया को शिखर पर ले जाने में आउटसोर्सिंग के मजदूरों का प्रमुख योगदान है। इनको शत फीसदी बोनस का लाभ दिया जाना चाहिए। चाहे राशि जितनी भी हो। कोल इंडिया में आने वाला समय आउटसोर्सिंग के मजदूरों का है। यह ऐसा समय है, जब यूनियन को भी एक जुटकर आउटसोर्सिंग के मजदूरों के लिए कुछ करनी चाहिए।
– गोपाल नारायण सिंह,अध्यक्ष, साउथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस

बोनस एक्ट में किए गए प्रवधान के अनुसार 21 हजार रुपए से अधिक मासिक वेतन वाले आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बोनस का भुगतान नहीं किया जा सकता है। इस कारण यह परिस्थितियां बनी है।
– सुरेन्द्र पांडे,उपाध्यक्ष, भारतीय मजदूर संघ

यूनियन का करें बहिष्कार
खदान में काम करने वाले ठेका मजदूरों का साथ यूनियन नहीं देती है तो मजदूरों को भी ऐसे यूनियन का बहिष्कार करनी चाहिए। उनके धरना प्रदर्शन और हड़ताल से खुद को अलग कर लेना चाहिए।
– सीताराम चौहान, श्रमिक नेता, असंगठित क्षेत्र

अगर मासिक वेतन २१ हजार से कम है तो बोनस भुगतान का प्रवधान है। लेकिन 21 हजार रुपए से अधिक है तो कंपनी अनुग्रह राशि दे सकती है। इसके लिए यूनियन को भी प्रबंधन पर दबाव डालनी चाहिए। आउटसोर्सिंग के कोयला कामगारों को बोनस नहीं मिला तो आंदोलन की जाएगी।
– राधेश्याम जायसवाल, उद्योग प्रभारी, बीएमएस

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