#Topic of the day : भवन निर्माण बड़ी उपलब्धि, अधिवक्ताओं को अधिक सुविधाएं देना रहेगी प्राथमिकता नेकी दीवार के समक्ष न तो कोई देने वाला होता और न ही किसी से पूछने की आवश्यकता। बस जिसकी जैसी जरूरत, वह वैसी
चीज ले जाए और जिसके लिए जो चीज अनुपयोगी हो चुकी है। वह उसे यहां छोड़ जाए किसी जरूरतमंद के लिए। इस दीवार में उनका भी स्वागत होता है, जिनके घर पर रखे ऐसे सामान, जिनकी उन्हें तो जरूरत नहीं पर किसी और के लिए कीमती हो सकता है, उसे वे स्वेच्छा से यहां छोड़ जाते हैं। जिला अस्पताल के परिसर में इसके गार्डन के ठीक बगल में नेकी की दीवार को बोर्ड लगा हुआ है। यहां कुछ खूंटी भी दीवार पर टंगी हुई है। जहां लोग अपने पुराने कपड़े टांग जाते हैं।
रामलीला में कलाकारों का यह रूप देख मंत्रमुग्ध रह जाएंगे आप, देखें तस्वीरें कुछ बेहतर करने की मंशा
समाज के लिए कुछ बेहतर करने की मंशा से ही नेकी की दीवार की शुरूआत हुई है। यह कॉन्सेप्ट असल में देश भर के कई क्षेत्रों में मूर्त रूप ले चुका है। आमतौर पर नेकी की दीवार के नीचे छोटा और तंग हो चली पुरानी कमीज-पतलून, गर्म कपड़े, पेन, कॉपी-पेंसिल, बच्चों के कंपास, स्कूल बैग, जूते-चप्पल, शॉल-चादर से लेकर टीवी और साइकिल तक सब कुछ इसमें शामिल है।