scriptमांग से करीब ढाई हजार ज्यादा मच्छरदानी की खरीदी कर शासन को लगाया चूना | With the purchase of about two and a half thousand mosquito nets from the demand | Patrika News
कोरबा

मांग से करीब ढाई हजार ज्यादा मच्छरदानी की खरीदी कर शासन को लगाया चूना

विभाग में लगभग नौ लाख रुपए की अनियमितता वर्ष १५-१६ में की गई है।

कोरबाAug 14, 2017 / 01:36 pm

Rajesh Kumar kumar

 ढाई हजार ज्यादा मच्छरदानी की खरीदी कर शासन को लगाया चूना

आदिवासी विकास विभाग

रायगढ़.आदिवासी विकास विभाग की अनियमितता का सिलसिला अभी थमा नहीं है। नई कड़ी में जहंा दो किलोमीटर के लिए ४५०० रुपए का भाड़ा चुकाया गया है वहीं मांग से लगभग ढाई हजार ज्यादा मच्छरदानी की खरीदी कर ली गई है। इस प्रकार विभाग में लगभग नौ लाख रुपए की अनियमितता वर्ष १५-१६ में की गई है।
इस शहर में जब एक आम आदमी अपना घर शिफ्ट करता है तो इस कोने से उस कोने तक उसे अपने घर के पूरे सामान को शिफ्ट करवाने में मुश्किल से दो से ढाई हजार का खर्च आता है। इसमें दो से तीन ट्रिप शामिल है। यदि बड़ा वाहन करे तो एक ट्रिप में ये काम हो जाता है। लेकिन आपको हैरानी होगी कि सरकारी विभाग में ये किराया दोगुना हो जाता है।
आम आदमी के घर में छोटे से लेकर बड़े और भारी सामान भी शामिल होते हैं। जबकि इस सरकारी विभाग में जिन सामानों को ढोया गया वो सामान, प्लास्टिक के गमले, मसाला का डिब्बा, दपर्ण और खेल सामाग्री के थे। ये कार्य आदिवासी विकास विभाग में किया गया है। जिसमें दो किलोमीटर के सफर के लिए ४५०० रुपए का भुगतान किया गया है। आडिट रिपोर्ट में इसे अनियमितता की श्रेणी में रखा गया है। टीम ने कहा कि कार्यालय द्वारा वष्ज्र्ञ २०१५-१६ में आदिवासी हास्टल और आश्रमों में सामानों के परिवहन में कुल ३ लाख ६३ हजार ५१७ रुपए का भुगतान किया गया है। खास बात यह है कि यह भुगतान किलोमीटर की दर से नहीं किया गया है। इसके अलावा एक ही स्थान के लिए अलग-अलग दर का भुगतान किया गया है।
गजब की दरियादिली- आडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि भंडार गृह से एक किलोमीटर की दूरी के लिए ४५०० रुपए का किराया भुगतान कर दिया गया है। वहीं स्थानीय छात्रावास में मच्छरदानी, प्लास्टिक गमला, मसाला डिब्बा, दर्पण व खेल सामग्री का परिवहन बड़े ट्रक से कर दिया गया और १५ हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया।
कहता है विभाग- इस मामले में विभाग की ओर से कहा गया कि खरीदी गई सामग्रियों के परिवहन के लिए साल १४-१५ में टेंडर मंगवाई गई थी। इसी के आधार पर १५-१६ में इसका भुगतान कर दिया गया है। पर इसके लिए कोई टेंडर नहीं निकाला गया। इसमें परिवहनकर्ता फर्म ओरिएंट रोड ट्रांसपोर्ट के मुंहमागी दर से भुगतान कर दिया गया।
वायके पंडा पर भंडारी का जिम्मा- वर्ष २०१५-१६ में जितने भी मामले आदिवासी विभाग में अनियमितता के आए हैं उसमें भंडारी के पद पर वायके पंडा कार्यरत थे। जबकि वाहन प्रभारी और भंडार अधिकारी का जिम्मा तात्कालीन सहायक आयुक्त सीएल जायसवाल का था। वहीं खरीदी का दारोमदार भी सीएल जायसवाल के कंधे पर ही था।
कहते हैं अधिकारी- अभी तक पत्रिका में आदिवासी विकास विभाग में बरती गई अनियमितता की जितनी खबरें प्रकाशित की गई है उसमें अधिकारियों की ओर से एक ही बात कही जा रही है कि शासन को इसका जवाब भेज दिया गया है। वहां से जो भी निर्देश आएगा उसका पालन किया जाएगा।
अब मच्छरदानी के लिए कैसे खेला गया खेल- इस मामले में विभाग की ओर से दूसरी अनियमितता आदिवासी बच्चों के मच्छरदानी की खरीदी मेें की गई है। इसमें विभाग ने ४ लाख ७८ हजार ७३७ रुपए की अनियमितता कर दी है। नियम कहता है कि मांग से अधिक की खरीदी नहीं की जा सकती पर विभाग ने इन नियम को भी नहीं माना और मांग से ढाई हजार ज्यादा मच्छरदानी की खरीदी कर डाली। मच्छरदानी की कीमत १८९ रुपए प्रति मच्छरदानी थी। इस प्रकार विभाग ने ४ लाख ७८ हजार ७३७ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार डाल दिया।

Home / Korba / मांग से करीब ढाई हजार ज्यादा मच्छरदानी की खरीदी कर शासन को लगाया चूना

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो