Doctor negligence: बालगृह में रहकर कक्षा पढ़ाई कर करता था बालक, तबीयत खराब होने पर कराया गया था भर्ती, तहसीलदार की मौजूदगी में हुआ शव का पीएम
Doctor negligence
बैकुंठपुर. बालगृह के एक 7 वर्षीय बालक की तबियत खराब होने पर गुरुवार की सुबह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान देर रात बालक की तबीयत अचानक बिगडऩे से मौत हो गई। बालक की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन पर खाली सिलेंडर से ऑक्सीजन देने का आरोप (Doctor negligence) लगा है।
जबकि डॉक्टरों का कहना है कि यह बात बिल्कुल गलत है, जिस सिलेंडर से ऑक्सीजन दिया जा रहा था, वह आधा भरा था। जबकि बैकअप में दूसरा सिलेंडर भी मंगाकर रखा गया था। महिला एवं बाल विकास के माध्यम से जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में बालगृह (बालक) संचालित हैं। इसमें करीब ढाई दर्जन से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। बालगृह के 7 वर्षीय एक बालक की अचानक तबीयत खराब होने पर गुरुवार सुबह 11 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में डॉ. अरुण कुमार बखला बच्चे का इलाज कर रहे थे।
बालगृह प्रबंधन ने बच्चे को हायर सेंटर रेफर करने की बात कही, लेकिन डॉक्टर (Doctor negligence) ने रेफर नहीं किया। गुरुवार-शुक्रवार की रात करीब 12.30 बजे अचानक बच्चे को उल्टी-दस्त की शिकायत हुई। मामले की जानकारी मिलने के बाद महिला बाल विकास विभाग के डीपीओ चंद्रबेश सिंह सिसोदिया व बाल सरंक्षण अधिकारी आशीष गुप्ता मौके पर पहुंच गए।
इसके बाद आनन-फानन में उपचार करते समय सांस लेने में परेशानी होने के कारण सिलेंडर से ऑक्सीजन दिया गया था, लेकिन वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया था। बाल संरक्षण अधिकारी ने करीब 3 बजे सिलेंडर को देखा तो ऑक्सीजन खत्म (Doctor negligence) हो गया था, इसके बाद मेडिकल स्टाफ को ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी दी गई, लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार बालक की करीब 3.20 बजे मौत हुई है। मामले की जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार की सुबह तहसीलदार जिला अस्पताल पहुंचीं और उनकी मौजूदगी में शव का पीएम कराया गया। वहीं मामले में शिकायत दर्ज कर कोतवाली पुलिस विवेचना में जुटी है। इधर अस्पताल प्रबंधन पर बच्चे को खाली सिलेंडर से ऑक्सीजन (Empty oxygen cylender) देने का आरोप लगा है।
डॉक्टर बोले-सिलेंडर से ऑक्सीजन खत्म होने की बात गलत जिला अस्पताल में रात्रि पाली में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर अरुण कुमार बखला का कहना है कि बच्चे की तबीयत अत्यधिक खराब थी। जानकारी मिलने पर तत्काल उपचार शुरु किया गया था। सिलेंडर से ऑक्सीजन खत्म होने की बात बिल्कुल गलत है।
हमने जो सिलेंडर लगाया था, उसमें आधा ऑक्सीजन गैस भरा था और बैकअप के तौर पर एसएनसीयू से नया सिलेंडर मंगा लिया गया था। हमने बच्चे का बेहतर उपचार करने पूरी कोशिश की है।
नाक से सफेद पदार्थ निकलने को लेकर तरह-तरह की चर्चा बालगृह के बच्चे की मौत होने के बाद मरच्यूरी में शव को भेज दिया गया। इस दौरान कोतवाली पुलिस की टीम जांच करने पहुंची और पंचनामा तैयार कर पीएम कराया गया। वहीं मृत बच्चे के नाक से सफेद पदार्थ निकलने को लेकर तरह-तरह की चर्चा होने लगी थी।
मरच्यूरी में मौजूद लोग बोले कि अक्सर मुंह से झाग जैसा पदार्थ निकलता है, लेकिन मृत बच्चे के नाक से सफेद पदार्थ निकल रहा है। अस्पताल में रात करीब 3.20 बजे बच्चे की मौत हुई थी, लेकिन उसके नाक के पास सुबह पीएम होने तक सफेद पदार्थ था।
कलक्टर ने सीएस से मंगाया प्रतिवेदन बालगृह प्रबंधन ने बच्चे की मौत होने के बाद एसडीएम और पुलिस को जानकारी दी। इन अधिकारियों द्वारा कलक्टर के पास जाने की सलाह दी गई। इसके बाद कलक्टर को मामले की विस्तार से जानकारी दी गई। कलेक्टर ने सीएस से मामले में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है। वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल ने पोस्टमार्टम के बाद शव बालगृह प्रबंधन को सौंप दिया गया है।
सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं होने की बात गलत सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं होने की बात बिल्कुल गलत है। उल्टी-दस्त की शिकायत होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉ. एसके गुप्ता, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल बैकुंठपुर