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नरवा विकास: कोरिया में 5.78 करोड़ की लागत से 332 किलोमीटर जल परिपथ रिचार्ज हुआ

वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का मामला, एक लाख ११ हजार ९७६ हेक्टेयर रकबा को सिंचाई पानी मिलने लगा है।

कोरीयाJun 25, 2022 / 08:48 pm

Yogesh Chandra

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बैकुंठपुर। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की देखरेख में ५.७८ करोड़ खर्च कर ३३२ किलोमीटर जल परिपथ को रिचार्ज किया गया है। जिससे मनेंद्रगढ़ व कोरिया वनमण्डल में एक लाख ११ हजार ९७६ हेक्टेयर जमीन को सिंचाई पानी उपलब्ध होने लगी है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना वर्ष 2019 से २०21 तक नरवा विकास कार्य में 5 करोड़ 78 लाख खर्च किए गए हैं। जिससे 1852 कार्य को पूरा कर आसपास गांव को सिंचाई पानी उपलब्ध कराया गया है। योजना से जिले के सिंचित क्षेत्र में वृद्धि होने से किसानों को बड़ी राहत मिली है। जिले में 332 किलोमीटर लंबाई के जल परिपथ(नाला) को रिचार्ज किया गया है। नरवा निर्माण से 71 हजार 790 हेक्टेयर कैचमेंट एरिया उपचारित हुआ है। वहीं राज्य कैम्पा मद के माध्यम से 109 नरवा विकास कार्य कराए गए हैं। जिससे वनमण्डल बैकुंठपुर एवं मनेन्द्रगढ़ के अंतर्गत 1 लाख 11 हजार 976 हेक्टेयर रकबा उपचारित किया गया है। वर्षा जल के संचयन और नदी-नालों के उपचार से आसपास के क्षेत्र की मिट्टी में नमी बढऩे के साथ फसलों की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध हुआ है। वहीं भूजल स्तर में भी वृद्धि हुई है। नदी नालों के पुर्नजीवन जल संरक्षण करने कन्टूर ट्रेंच, लूज बोल्डर चेकडेम, परकुलेशन टैंक, अर्दन गली प्लग, तालाब निर्माण, गेबियन संरचना, अर्दन डेम एवं एनीकट का निर्माण हुआ है।

कटगोड़ी क्षेत्र में १० गांव की २६०० हेक्टेयर कृषि भूमि रिचार्ज
नरवा विकास योजना से कोयला खनन से भूगर्भ में जल स्तर नीचे जाने वाले कटगोड़ी सहित १० गांव की २६०० हेक्टेयर जमीन रिचार्ज हुआ है। कोयला उत्खनन से कटगोड़ी गाांव में भूगर्भ स्तर काफी नीचे चला गया है। जिससे किसान वर्षा ऋतु के इंतजार में सिर्फ एक फसल लेते थे। कोरिया वनमंडल के बैकुंठपुर वनपरिक्षेत्र में कैंपा योजना भूजल संरक्षण मद से ग्राम आनंदपुर के फुलवारी नाले को नरवा विकास योजना से संवारा गया है। जिससे आनंदपुर, नवगई, कटगोड़ी, दुधनिया, केराझरिया, पहाड़पारा के किसानों को लाभ मिलने लगा है। छोटे-बड़े परकोलेशन टैंक, अर्दन डेम, चेकडेम, एनीकट का निर्माण कराया गया है। जिससे 10 गांव का भूमिगत जल अब पहले से बेहतर है। वहीं संरक्षित पानी से सिंचाई कर नर्सरी में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। ग्राम कटगोड़ी में अंडरग्राउंड कोयले की खदान होने से भूमिगत जल नीचे जाने से एक साल पहले नलकूप खनन करने पर पानी नहीं निकलता था। वहीं वर्षा जल का संचय कर पाना मुश्किल था। मामले में वन विभाग ने कैंप मद से 26 परकोलेशन टैंक, गैबियन, 1400 बोल्डर चेकडेम और 1200 थर्टी फोर्टी, जिसमें छोटे-छोटे खेत बनाकर चारों ओर पेड़ लगाए गए हैं। चेकडैम निर्माण से क्षेत्र में जल स्तर में वृद्धि हो रही है। आसपास की जमीन का भूजल स्तर बढ़ा है। चेकडैम के पास लगभग 15 किसानों की भूमि है, जिसमें कृषि कार्य करते हैं। खरीफ एवं रबी फसल ले रहे हैं।

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