इस अवसर पर कार्यकर्ता-पदाधिकारियों को संकल्प दिलाया गया। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि हर काम में कमीशन का खेल चल रहा है। पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे ने कि तहसील, ब्लॉक, और एसडीएम कार्यालय में बिना पैसे के कोई काम नहीं होता है।
संकल्प शिविर में कांग्रेस के दिग्गज नेता मंच को छोड़कर कार्यकर्ताओं के बीच बैठे और बूथ, सेक्टर से लेकर जोन स्तर के कमेटी से चर्चा कर चुनाव में जीत दर्ज करने मंत्र दिए। प्रदेश प्रभारी पुनिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी से महिलाओं को अधिक संख्या में जोडऩा है। पार्टी को मजबूत बनाने के लिए महिलाओं की भागीदारी बहुत ही जरूरी है।
पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं को बूथ से लेकर सेक्टर स्तर अलग-अलग बैठक लेनी होगी और जनता के विकास व योजनाओं की चर्चा करनी होगी। जिससे पार्टी जमीनी स्तर पर बहुत ही मजबूत होगी। इस अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष नजीर अजहर, उपाध्यक्ष गुलाब कमरो, मुख्तार अहमद, युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष संजीव सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रभा पटेल, जिला पंचायत सदस्य शरण सिंह सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
जनता तक पहुंचाएं कांग्रेस की योजनाएं
डॉ. महंत ने कहा कि यूपीए सरकार की उपलब्धियां जैसे सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाएं। कांग्रेस शासनकाल में ही जनता के लिए यह सब योजनाएं बनी थी। कांग्रेस पार्टी के हर कार्यकर्ता-पदाधिकारी गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले जाएं और केंद्र व राज्य सरकार के झूठे वायदों को लेकर आम जनता को बताएं। वहीं कांग्रेस पार्टी के शासनकाल की जनकल्याणकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से बताएं।
हैंडपंप खनन, दवा खरीदी व किताबों की छपाई में कमीशन का खेल
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव ने कहा कि जनकपुर पहुंचने में मात्र ६० किमी बचा है। केल्हारी की सड़क जर्जर और गड्ढे हो गए हैं। सरकार अच्छे से न चले तो प्रजातंत्र किस काम का है। भरतपुर-सोनहत की विधायक आज संसदीय सचिव हैं। उनके कार्यकाल में आपके क्षेत्र में क्या सुधार हुआ है? गांव में हैंडपंप खोदने के लिए कमीशन, दवा खरीदी में कमीशन, किताबों की छपाई में कमीशन का खेल चल रहा है।
उन्होंने कहा कि खाद्यान्न सुरक्षा कानून के तहत जो अनाज भेजा जा रहा है। उसमे सरकार ने 10 साल में 36 हजार करोड़ खर्च का घोटाला कर डाला है। कोयले की रॉयल्टी से राशि मिलती है, उसे केल्हारी की सड़क बननी थी, लेकिन कैसे बनेगी। पूरा पैसा तो जेब में जा रहा है। जनकपुर के गांवों में मध्यप्रदेश से बिजली पहुंच रही है।