ये उपलब्धियां कोरिया पुलिस में सूबेदार के पद पर कार्यरत रमेश कुमार पिता बीआर पुरेना (40) की है। वे मूलत: रायपुर के टाटीबांध-महुआबार के निवासी हैं। उनके पिता रायपुर पुलिस में आरक्षक के पद पर कार्यरत थे और आज सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सूबेदार रमेश की पहली-दसवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई हुई।
उनको प्राइवेट स्कूल में पढऩे का बड़ा शौक था। 10वीं कक्षा पास होने के बाद कम फीस लेने वाले स्कूल में दाखिला लिया। हालांकि स्कूल की पढ़ाई-लिखाई में हमेशा उनकी औसत बच्चों की श्रेणी से नीचे गिनती होती थी।
वर्ष 1998-99 से आर्मी की हर भर्ती में हिस्सा लेते थे और मेहनत के बल पर 7 बार आर्मी में जनरल ड्यूटी (जीडी) के पद पर चयनित हुए। लेकिन एक बार भी नौकरी ज्वाइन नहीं की। वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में आरक्षक बन गए और 2009 में नौकरी छोड़ दी।
लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी और प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में स्नातक की शिक्षा पूरी की। साथ ही छोटे-बड़े कॉम्पीटिशन एग्जाम की तैयारी करते रहे। वर्ष 2010 में बीएसफ एसआई, 2011 में एसएससी ड्रग इंपेक्टर व सीआईएसफ एसआई में सलेक्ट हुए। साथ ही तीन बार पटवारी, दो बार सहायक संपरीक्षक और यूपीएससी असिस्टेंट कमांडेंट बीएसफ में सलेक्ट हो गए, लेकिन कहीं नौकरी ज्वाइन नहीं की।
वहीं वर्ष 2012 में दिल्ली पुलिस एसआई, आरपीएफ एसआई प्रथम रैंक, सीआईएसएफ एसआई, सांख्यिकीय अन्वेषक, बैंक क्लर्क, फूड इंस्पेक्टर, रेवेन्यू इंस्पेक्टर, एलआईसी सहायक प्रशासनिक अधिकारी व प्रोबेशनरी ऑफिस में चयन हुआ। इसमें सिर्फ बैंक पीओ की नौकरी में ज्वाइनिंग दी।
पुलिस की नि:शुल्क कोचिंग में पढ़ाते हैं
सूबेदार रमेश कुमार ने बताया कि रेलवे भर्ती बोर्ड के अलग-अलग ८ एग्जाम में भी सलेक्ट हुए थे। इसमें टीटी, स्टेशन मास्टर, ट्रैफिक अप्रेंटिस सहित अन्य पद शामिल हैं। उनको पढऩे व पढ़ाने का बड़ा शौक है। इसलिए नौकरी छोड़ २०१७ में पीएससी मेंस की तैयारी करने बिलासपुर चले गए थे।
फिर 2017-18 तक रायपुर में कोचिंग सेंटर चलाया। इसमें उनके पढ़ाए 42 बच्चे अलग-अलग पदों पर चयनित हुए हैं। उन्होंने बताया कि स्कूली लाइफ से ही अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता था। वर्ष 1999-2000 में एसटीडी-पीसीओ में काम करता था।
छत्तीसगढ़ी फिल्म में हीरो का भी मिला था ऑफर मिला
सूबेदार रमेश को वर्ष 2000 में बॉडी बिल्डिंग में मिस्टर रायपुर और 2001 में छत्तीसगढ़ में तीसरा पुरस्कार मिल चुका है। उसी समय छत्तीसगढ़ी फिल्म में हीरो का रोल ऑफर हुआ था, लेकिन पिता की डांट से पीछे हट गए थे। वही छत्तीसगढ़ फिल्म हिट हुई थी। इसके अलावा दिल्ली के बड़े-बड़े कोचिंग स्थानों में पढ़ाने का भी ऑफर मिल चुका है।
शिक्षा बहुत जरूरी
शिक्षा शेरनी का वो दूध है, जिसे पीकर कोई भी दहाड़ सकता है। वर्तमान में शिक्षा बहुत जरूरी है, आज सबसे आसान काम पढ़ाई है। इसमें कुछ नहीं करना पड़ता है। अब बस्तर अंचल के बच्चों को कॉम्पीटिशन एग्जाम की तैयारी कराकर अपना ज्ञान बांटना चाहता हूं।
रमेश कुमार, सूबेदार कोरिया पुलिस बैकुंठपुर