इस दौरान उसके नाना ने एसईसीएल रीजनल अस्पताल में चेकअप कराया, लेकिन डॉक्टर ने सामान्य बुखार की दावा देकर भेज दिया था। वहीं ब्लड सैंपल जांच कराने की बात कही थी। मामले में गोदरीपारा रीजनल अस्पताल के सामने संचालित मण्डल क्लीनिक एवं पैथोलेब से बच्ची की जांच कराई और रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाई थी। इस दौरान नार्मल रिपोर्ट की बात कहकर बच्ची के शरीर में खून की कमी की जानकारी दी और दवाइयां लिखकर तीन दिन खिलने के बाद दिखाने की बात कही थी। लेकिन बच्ची की हालत में कुछ सुधार नहीं हुआ और एक अन्य डॉक्टर से चेकअप कराया था।
डॉक्टर ने ब्लड सैम्पल लेकर अपनी जांच रिपोर्ट में मलेरिया टाइफाइड की पुष्टि कर उपचार शुरू कर दिया। लेकिन एक सप्ताह तक किसी प्रकार से तबीयत में सुधार नहीं हुआ था। 26 अगस्त शाम को अचानक बच्ची की तबीयत बिगडऩे पर रीजनल अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के मेेडिकल स्टाफ ने बीमार बच्ची को बाहर ले जाने की सलाह दी।
बच्ची के नाना ने बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया है। इस दौरान सैंपल जांच में डेंगू पॉजिटिव की पुष्टि कर उपचार जारी है।
बच्ची आईसीयू में भर्ती, हालत नाजुक
जानकारी के अनुसार 26 अगस्त को बिलासपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वर्तमान में बच्ची को आईसीयू में भर्ती कर विशेष निगरानी में रखा गया है। परिवार का कहना है कि अभी तक 80 हजार रुपए खर्च हो चुका है, लेकिन बच्ची की हालत में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।
बच्ची आईसीयू में भर्ती, हालत नाजुक
जानकारी के अनुसार 26 अगस्त को बिलासपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वर्तमान में बच्ची को आईसीयू में भर्ती कर विशेष निगरानी में रखा गया है। परिवार का कहना है कि अभी तक 80 हजार रुपए खर्च हो चुका है, लेकिन बच्ची की हालत में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।