घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। प्रशासन ने मृत मवेशियों को पेास्टमार्टम के बाद दफनवा दिया, वहीं खेत मालिक को चौकीदार लगाने को निर्देशित किया है। साथ अन्य खेतों में भी सावधानी रखने को कहा है।
मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार सुबह करीब करवाड़ गांव से रोज की तरह मवेशी चरने के लिए निकले थे। करीब दो दर्जन पशु ज्वार के खेत में चले गए। वहां ज्वार की फसल चर ली। इसके बाद धड़ाधड़ गिरने लगे। दोपहर करीब 12 बजे खेतों की ओर गए लोगों ने मवेशियों को गिरते-तड़पते देखा तो गांव में सूचना दी।
सूचना पर पशुपालक व ग्रामीणों की भीड़ मौके पर लग गई। ग्रामीणों ने पशु चिकित्सालय और उपखंड प्रशासन को सूचना दी। अपने स्तर पर भी तड़पते मवेशियों को विषाक्त असर दूर करने के लिए छाछ व पानी पिलाते रहे। थोड़ी देर में उपखण्ड अधिकारी परसराम मीणा, तहसीलदार रामचरण मीणा और पशु चिकित्सकों की टीम मौके पर पहुंची।
सीआई आनन्द यादव, ग्राम सेवक, पटवारी और सामजिक संगठनों के कार्यकर्ता भी आए। पशु चिकित्सकों की टीम पहुंची ने मवेशियों को उपचार देने की कोशिश भी की लेकिन वे सिर्फ तीन को ही बचा पाए। मृत मवेशियों में 15 गायें और 6 बछड़े हैं।
पशु चिकित्सकों ने बताया कि ज्वार की फ सल में समय पर पानी नहीं मिलने पर यह विषैली हो जाती है। मवेशी इसे खाने के बाद मौत के आगोश तक में चले जाते हैं। जिन पशुपालकों के मवेशी मर गए, ग्रामीणों ने प्रशासन से उनको उचित मुआवजा दिलाने की मांग की।
पानी पिलाई में कमी रहने से ज्वार की फ सल विषाक्त हो गई है। मवेशियों द्वारा इसे फ सल खाने पर आफ रा आने लग जाता है। उनकी पाचन क्रिया बन्द हो जाती है। श्वास लेने में तकलीफ होने लगती है और समय पर इलाज न मिलने पर मवेशी मौत के आगोश में चला जाता है।
– अब्दुल समील, पशु चिकित्सक