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कोटा

बरसात ने खोला सड़कों का भ्रष्टाचार, अब गिट्टी-मिट्टी से लीपापोती

बड़ा सवाल : खराब सड़कों का निर्माण करने वाली किसी भी ठेका फर्म एवं गुणवत्ता जांचने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?-यूआईटी क्षेत्राधीन कोटा शहर में 394.65 किमी लम्बी 64 सड़कें खराब

कोटाSep 23, 2021 / 04:14 pm

Kanaram Mundiyar

बरसात ने खोला सड़कों का भ्रष्टाचार, अब गिट्टी-मिट्टी से लीपापोती

बरसात ने खोला सड़कों का भ्रष्टाचार, अब गिट्टी-मिट्टी से लीपापोती

कोटा.

इस साल मानसून की बरसात ने राज्य के तीसरे बड़े शहर कोटा में नगर विकास न्यास के अधीन ३९४.६५ किलोमीटर लम्बी 64 सड़कों की हालत खराब कर दी है। अधिकतर सड़कों की गुणवत्ता ही इतनी खराब थी कि औसत से थोड़ी अधिक बरसात ही नहीं झेल पाई। यानी बरसात ने कोटा शहर की अधिकतर सड़कों के घटिया निर्माण व भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। नियमानुसार सड़कें क्षतिग्रस्त होने पर संबंधित ठेका फर्म के खिलाफ नोटिस, पेनल्टी, ब्लैक लिस्ट करने जैसी कार्रवाई होती है, लेकिन कोटा यूआईटी प्रशासन ने इस साल कोई कार्रवाई नहीं की है। वहीं जिन अफसरों या इंजीनियर की निगरानी में सड़कें बनी और अब क्षतिग्रस्त हो गई, ऐसे अफसरों व इंजीनियर के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
यूआईटी ने हाल ही अपने क्षेत्राधिकार के अधीन कोटा शहर में चारों डिवीजन में खराब सड़कों का सर्वे करवाया। जिसमें पाया कि शहर में 394.65 किमी लम्बी 64 सड़कें खराब हुई है। सड़कों की हालात यह है कि लोगों का निकलना दुश्वार हो रहा है। गड्ढों, गिट्टी-मिट्टी के चलते आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। कई लोगों की जान जा चुकी है।
गुणवत्ता मापदण्ड नहीं अपनाते-
सड़क बनाने में बीयूएसजी 251, पीएमसी सील 183 पर एक्यूएम, बिटयूमिनस मैकडम 5195 पर सीयूएम, मिक्स सील परफेस135 पर एसक्यूएम का उपयोग किया जाता है, लेकिन सड़क निर्माण करने वाली ठेका फर्म की ओर से बीयूएसजी 251 व पीएमसीएल 183 पर एसक्यूएम का ही उपयोग जाता है। बाकी आइटमों का न के बराबर उपयोग होता है। ऐसे में सड़कों की गुणवत्ता खराब रह जाती है और बरसात के समय ऐसी सड़कों की स्थिति बिगड़ जाती है। सड़कों के घटिया निर्माण इसलिए भी हो रहे हैं कि यूआईटी के इंजीनियर नियमित निरीक्षण व गुणवत्ता जांच के प्रति लापरवाही करते हैं।
मरम्मत की जिम्मेदारी ठेका फर्म की-
नियमानुसार ठेका फर्मों की ओर से बनाई गई सड़कों की तीन साल की गारंटी है। गारंटी अवधि के अंतराल में सड़कें खराब होने पर उसकी मरम्मत ठेका फर्म अपने खर्च से ही करवाएगी। अवधि के बाद खराब होने वाली सड़कों की मरम्मत न्यास को खुद करवानी होगी। यूआईटी के अफसरों से जब सवाल किया कि कितनी सड़कें ठेका फर्म की ओर से ठीक करवाई जाएगी और कितनी यूआईटी करवाएगी तो उन्होंने कहा कि हमें यह पता नहीं है, लेकिन यह डिविजन वाइज इंजीनियरों को पता है, क्योंकि सड़कों के टेंडर व कार्यआदेश वो ही निकालते हैं।
खण्ड के अनुसार खराब सड़कें

– प्रथम खण्ड में 33
– द्वितीय खण्ड में 5

– तृतीय खण्ड में 18
– चतुर्थ खण्ड में 8

– कुल 64 सड़कें खराब

प्रथम खण्ड में खराब सड़कें
– जवाहर नगर पेट्रोल पम्प से एयरपोर्ट चारदीवारी होते हुए जाट समाज भवन तक
– केशवपुरा सर्किल से कॉमर्स कॉलेज चौराहा
– शीला चौधरी रोड

– सीएडी से दानबाड़ी, सुभाष नगर, बालाजी नगर, सुभाष नगर, श्रीनाथपुरम्, आरकेपुरम्, गणेश नगर, विनोबा भावे नगर
– राजीव गांधी नगर

– तीन बत्ती चौराहे से छोटा चौराहा
– रावतभाटा रोड
– रानपुर, लखावा आवासीय योजना की सड़क
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द्वितीय खण्ड में खराब सड़कें-

– अंटाघर से नयापुरा चौराहा नदी तक
– बूंदी रोड मुख्य सड़क

– अंटाघर से बारां रोड आरओबी, स्टेशन तक
खण्ड तृतीय-खराब सड़कें
– डीसीएम चौराहे से श्रीराम नगर कॉलोनी तक

– छावनी अंडरपास से थेगड़ा पुलिया तक
– देवली अरब रोड से बारां रोड को जोडऩे वाली ६० फीट सड़क

– बोरखेड़ा पेट्रोल पम्प से हाथीखेड़ा माइनर तक एप्रोच सड़क
– देवली अरब से नया नोहरा तक
– अर्जुनपुरा से चन्द्रसेल तक

चतुर्थ खण्ड-खराब सड़कें

– एरोड्रम सर्किल से अनंतपुरा प्रवेश द्वार तक
– अनंतपुरा से डीसीएम चौराहे तक

– आईएल गेट से डकनिया स्टेशन तक
– गोल्ड ग्रीन फार्म हाउस की सड़कें
– विज्ञान नगर स्थित संजय नगर कच्ची बस्ती में नाले की दीवार
– प्रेमनगर प्रथम, द्वितीय व तृतीय की मुख्य सड़कें

यूआईटी अफसरों ने यह दिया जवाब-
बारिश में शहर की अधिकतर सड़कें खराब हो गई। जो सड़केंं गारंटी अवधि में है। उनको ठेक फर्म ही ठीक करवाएगी। जिनकी गारंटी अवधि पूरी हो चुकी है। उनको न्यास ठीक करवाएगा। खराब सड़कों को लेकर किसी ठेका फर्म पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
– ओपी वर्मा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता

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लगातार हो रही बरसात के कारण सड़कें ठीक नहीं करवा पा रहे हैं। बारिश रुकने के बाद ही सड़कें ठीक करवाई जाएगी। फिलहाल गड्ढों को भरने के लिए गिट्टी-मिट्टी डलवाई जा रही है।
– राजेश जोशी, सचिव

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