खैर की लकड़ी का तस्कर वन विभाग के हत्थे चढ़ा, 30 क्विंटल लकड़ी जप्त
आरोपी ने पेड़ बोराव रैंज के वनखंड बांदरमुथा व जावदा रेंज के कृपापुरा से काटना कबूल किया है। जावदा रैंज ने मामला वन अधिनियम 26 व 37 में मामला दर्ज किया है।
कोटा•Feb 20, 2020 / 09:56 pm•
Dilip
खैर की लकड़ी का तस्कर वन विभाग के हत्थे चढ़ा, 30 क्विंटल लकड़ी जप्त
रावतभाटा. खैर की लकड़ी काटकर लाखों रुपए बटोरने वाले तस्कर को वन विभाग की रैंज बोराव व जावदा टीम ने वन खंड कृपापुरा से पकड़ा है। टीम ने मौके से करीब 30 क्विंटल खैर की लकड़ी भी जप्त की है। आरोपी के साथी मौके से फरार हो गए। पूछताछ में आरोपी ने पेड़ बोराव रैंज के वनखंड बांदरमुथा व जावदा रेंज के कृपापुरा से काटना कबूल किया है। जावदा रैंज ने मामला वन अधिनियम 26 व 37 में मामला दर्ज किया है।
बोराव क्षेत्रीय वन अधिकारी अब्दुल सलीम ने बताया कि
मध्यप्रदेश के जिला नीमच में फडि़चा कोजा निवासी कालूराम भील को गिरफ्तार किया है। बोराव क्षेत्र के वनखंड कृपापुरा में कुछ दिनों से खैर की लकड़ी काटकर तस्करी करने की सूचना मिल रही थी। इसको लेकर तीन दिनों से वनकर्मी नजर रखे हुए थे। मंडेसर नाके के प्रभारी व वन रक्षक विक्रम सिंह कसाना ने कटी लकड़ी देखी। ऐसे में उसने क्षेत्रीय वन अधिकारी अब्दुल सलीम को सूचना दी। क्षेत्रीय वन अधिकारी नाकों से वनकर्मियों को लेकर मौके पर पहुंचे। टीम को मौके से 25 से 30 क्विंटल लकड़ी के गुट्टे मिले। टीम ने आरोपी को मौके से गिरफ्तर कर लिया।
मध्यप्रदेश लेकर जाते हैं लकड़ी
क्षेत्रीय वन अधिकारी का कहना है कि उक्त क्षेत्र आधा बोराव व आधा जावदा रैंज में लगता है। पास ही मध्यप्रदेश की सीमा भी है। आरोपी पेड़ काटने के बाद मध्यप्रदेश लेकर जाते हैं। प्रदेश बदलने से वन विभाग की टीम नहीं जा पाती है। बाद में उक्त पेड़ों को तस्कर हरियाणा व गुडग़ांव ले जाकर बेच देते हैं।
कत्था व पान मसाले में होता इस्तेमाल
खैर की लकड़ी का इस्तेमाल कत्था व पान मसाला बनाने में इस्तेमाल होता है। आरोपी इसे 25 रुपए किलो के हिसाब से बेचते हैं, जबकि हरियाणा व गुडग़ांव में आगे जाकर इसकी कीमत 40 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलती है।
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