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इस गुड़ को बनाने के लिए सुलग रही भट्टियों से दुर्गंध उठ रही है। इस गुड़ को बनाने के लिए मोलासिस और सोपस्टोन तक को काम लिया जा रहा है। इन्हें न कोई रोक रहा है और न ही कोई टोक रहा है। बतौर बानगी अकेले हिण्डोली उपखंड के अलोद कस्बे के आस-पास ही एक दर्जन से अधिक ऐसी फैक्ट्रियां संचालित हो रही है जिनमें मिलावटी गुड़ तैयार किया जा रहा है। इस काले कारोबार पर नागेश शर्मा की लाइव रिपोट…कोटा की भामाशाह मंडी धान से हाउसफुल, हर दिन आ रही 1 लाख बोरी धान, सड़कों पर हो रही नीलाम
खाने से आंतों पर पड़ेगा बुरा असरमोलासिस और सोपस्टोन से बना गुड़ खाने से सीधा असर आदमी की आंतों पर पड़ेगा। इस प्रकार के गुड़ प्रत्येक उम्र के लोगों में बुरा प्रभाव डालता है। लोग सस्ते के चक्कर में खरीद लेते हैं, लेकिन यह सब स्वास्थ्य के लिए कतई ठीक नहीं। इस प्रकार के मिलावटी गुड़ आदि से हमें बचना चाहिए।
डॉ. अनिल जांगिड़, फिजिशियन, जिला चिकित्सालय, बूंदी
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गन्ना नहीं, गुड़ तैयार हो रहा सैकड़ों टन
बूंदी जिले में अब गन्ने की खेती गिनी चुनी जगहों पर रह गई। जबकि जिले में इन दिनों सैकड़ों टन गुड़ तैयार किया जा रहा है। यह सभी के लिए चौंकाने वाला तथ्य है कि जब इस कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि बूंदी में तैयार किया जा रहा गुड़ प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी बेचने के लिए भेजा रहा है। लोग इसे पुराना या फिर देशी गुड़ समझकर खरीद कर रहे हैं।
बूंदी से 15 किमी की दूरी पर स्थित अलोद में मिलावटी गुड़ के कारोबार की लिखित में शिकायत दे चुके, कोई ध्यान नहीं दे रहा। जबकि यहां गुड़ के नाम पर धीमा जहर तैयार किया जा रहा है। क्षेत्र में कहीं गन्ना नहीं है, लेकिन रोज सैकड़ों टन गुड़ तैयार किया जा रहा है। इस कारोबार से जुड़े लोग हर जगह पैसों की बात करते हैं।
जितेन्द्र कुमार दाधीच