एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि आर्टिफिशियल-इंटेलिजेंस से पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि 500 से अधिक स्कूलों के 50 फीसदी से अधिक विद्यार्थियों के प्रायोगिक परीक्षाओं में अंक विश्वसनीय नहीं है। इन विद्यालयों के विद्यार्थियों के थ्योरी-पेपर्स में अंक बहुत कम हैं, जबकि प्रायोगिक परीक्षा में सापेक्षत: बहुत अधिक अंक हैं। उपरोक्त आंकड़ों से प्रायोगिक परीक्षाओं की अंक-आवंटन प्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। यह जानकारी सीबीएसई-नई दिल्ली की ओर से हाल ही में जारी किए गए एक नोटिफिकेशन के तहत दी गई है।
बोर्ड ने जारी की एडवाइजरी : विश्वसनीय अंक प्रणाली की जरूरत सीबीएसई ने जारी किए अपने नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि वर्तमान समय में प्रायोगिक परीक्षाओं के आयोजन एवं इवेलुएशन-प्रोसेस को विश्वसनीयता प्रदान करने की जरूरत है। इस संबंध में बोर्ड ने संबंधित स्कूलों को एक एडवाइजरी भी जारी की है। एडवाइजरी में स्कूल-प्रशासन को प्रायोगिक परीक्षाओं के निष्पक्ष एवं पारदर्शी आयोजन की सलाह दी गई है।