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संचालक जयकिशन मीणा ने कहा कि 10 अगस्त की रात को डेयरी प्रबंधन दाल-बाटी खाता रहा और डेयरी प्लांट में 10 हजार लीटर दूध बह गया। बोर्ड बैठक में जांच कमेटी बनाकर कार्रवाई का प्रस्ताव लिया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। दूध बहने से डेयरी को 5 लाख का नुकसान हुआ, इसकी राशि एमडी से वसूली जाए। इस पर सभी संचालकों व अध्यक्षों ने एमडी से रिकवरी का प्रस्ताव लिया। यह भी पढ़ें
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बूथों पर क्यों बिक रहे हैं सिगरेट-पान मसाला आंवली रोझड़ी दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति अध्यक्ष महावीर ने कहा कि शहर में संचालित बूथों पर बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, पान मसाला बिक रहा है। प्लांट में भी कर्मचारी सेवन करते हैं। यह बंद होना चाहिए। डेयरी प्लांट के सामने संस्था का पार्लर लगा होने के बाद भी पास ही बूथ क्यों चल रहा है, इसे हटाया जाना चाहिए। गर्मी में दूध की कमी आने पर बाहर से खरीदा जाता है। अगर दूध की खरीद दर बढ़ा दी जाए तो बाहर से दूध मंगाने की जरूरत ही नहीं होगी। यह भी पढ़ें
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कहां जाते हैं 50 रुपए कालपुरिया अध्यक्ष नाथूलाल गुर्जर ने कहा कि जो पशुपालक समितियों के साथ निजी डेयरियों में भी दूध बेचते हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती। अस्थौली के कालूराम जाट ने कहा कि कोटा डेयरी 620 रुपए प्रति किलो फेट का भुगतान करती है, लेकिन पशुपालकों के खाते में 570 रुपए प्रति किलो फेट राशि आती है, 50 रुपए कहां जाते हैं, इसका खुलासा किया जाए। यह भी पढ़ें