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कोटा

ऑपरेशन खुशी ने जगाई नई आशा, हर 13 घंटे में एक को बालश्रम से मुक्ति दिलाई, 43 मासूम अब नही मांगेंगे भीख

हर हफ्ते एक बालक को भिक्षावृत्ति के अभिशाप से आजादी दिलवाई, 194 गुमशुदा बालक-बालिकाओं में से 191 को किया बरामद

कोटाNov 22, 2019 / 01:03 pm

Suraksha Rajora

ऑपरेशन खुशी ने जगाई नई आशा, हर 13 घंटे में एक को बालश्रम से मुक्ति दिलाई, 43 मासूम अब नही मांगेंगे भीख

ऑपरेशन खुशी ने जगाई नई आशा, हर 13 घंटे में एक को बालश्रम से मुक्ति दिलाई, 43 मासूम अब नही मांगेंगे भीख

@सुरक्षा कोटा. शहर में इतने बालश्रमिक हैं कि बीते दस महीनों में मानव तस्करी विरोधी यूनिट (एएचटीयू) ने हर 13 घंटे में एक मासूम को बालश्रम से मुक्ति दिलवाई। साथ ही, हर हफ्ते एक बालक को भिक्षावृत्ति के अभिशाप से आजादी दिलवाई। एएचटीयू ने विभिन्न संगठनों व संस्थाओं के साथ मिलकर गुमशुदा बालक-बालिकाओं की बरामदगी पर जोर दिया। इसके चलते 10 माह में गुम हुए 194 बालक-बालिकाओं में से 191 को बरामद किया।

एएचटीयू ने बीते दस माह में 539 बालकों को बालश्रम से मुक्त करवाया। शहर में औसतन हर 13 घंटे में एक बालक को बालश्रम से मुक्त करवाया गया। इसके लिए टीम ने थाना प्रभारियों, महिला एवं बाल डेस्क, पुलिस बाल कल्याण अधिकारियों समेत सामाजिक संगठनों व संस्थाओं की मदद ली और ऑपरेशन खुशी के तीन चरण व ऑपरेशन आशा चलाकर लगातार कार्रवाई की।

व्यापारियों व अभिभावकों से की समझाइश
इसके अलावा शहर में बालश्रम करवाने वाले व्यापारियों व बालकों के अभिभावकों से समझाइश कर उन्हें पाबंद किया। इससे वे भविष्य में बालकों से वापस बालश्रम न करवा सकें। इसके लिए बालकों से दोबारा बालश्रम करवाने पर उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई। बाल कल्याण समिति के माध्यम से बालकों को आश्रय स्थलों में आश्रय दिलवाया गया।
194 बालक हुए गुम, 191 को किया बरामद

एएचटीयू टीम ने बाल श्रम व भिक्षावृत्ति के अलावा शहर से गुम होने वाले बालक-बालिकाओं को दस्तयाब करने पर भी विशेष नजर रखी। इसके चलते शहर में इस वर्ष में अब तक दस माह में गुम हुए बालक-बालिकाओं में से 168 बालक-बालिकाओं को बरामद किया, जबकि गत वर्ष में गुम हुए 23 बालक-बालिकाओं को बरामद कर इस वर्ष अब तक 191 बालक-बालिकाओं को बरामद किया। 813 गुम वयस्कों में से 675 बरामद इस वर्ष अब तक 813 वयस्क महिला व पुरुष गुमशुदा हुए। इसमें से पुलिस ने 599 गुमशुदा को बरामद कर लिया, जबकि गत वर्षों से गुमशुदा व्यक्तियों में से 76 लोगों को बरामद किया गया। इस प्रकार इस वर्ष अब तक 675 वयस्कों को वापस दस्तयाब कर लिया गया।

43 बालकों को भिक्षावृत्ति से दिलवाई मुक्ति


टीम ने साल के बीते दस माह में औसतन एक बालक को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलवाते हुए 43 बालकों को भिक्षावृत्ति के अभिशाप से भी मुक्ति दिलवाई। इन सभी बालकों को बाल कल्याण समिति के माध्यम से आश्रय स्थलों पर आश्रय दिलवाया गया तथा अभिभावकों को समझाइश कर भविष्य में बालकों से भिक्षावृत्ति नहीं करवाने के लिए पाबंद किया गया।
इनका कहना

एएचटीयू टीम ने पुलिस थानों समेत पुलिस की एजेन्सियों से अच्छा तालमेल रखकर काम किया। इससे गुमशुदा बालकों व लोगों को बरामद करने में भी अच्छा लाभ मिला। इसके अलावा बालश्रम व भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलवाने में पुलिस व सामाजिक संगठनों के तालमेल से बढिय़ा कार्य हुआ।
दीपक भार्गव, पुलिस अधीक्षक (सिटी)

मानव तस्करी विरोध यूनिट ने गुमशुदा को दस्तयाब करने के अलावा बालश्रम व भिक्षावृत्ति से बालकों को मुक्ति दिलवाने में योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया। इसके लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की ओर से लगातार चलाए गए अभियान व पुलिस अधीक्षक के लगातार दिशा-निर्देश से ऐसे परिणाम मिले।
राजेन्द्र सिंह कविया, प्रभारी, मानव तस्करी विरोधी यूनिट

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