एएचटीयू ने बीते दस माह में 539 बालकों को बालश्रम से मुक्त करवाया। शहर में औसतन हर 13 घंटे में एक बालक को बालश्रम से मुक्त करवाया गया। इसके लिए टीम ने थाना प्रभारियों, महिला एवं बाल डेस्क, पुलिस बाल कल्याण अधिकारियों समेत सामाजिक संगठनों व संस्थाओं की मदद ली और ऑपरेशन खुशी के तीन चरण व ऑपरेशन आशा चलाकर लगातार कार्रवाई की।
व्यापारियों व अभिभावकों से की समझाइश
इसके अलावा शहर में बालश्रम करवाने वाले व्यापारियों व बालकों के अभिभावकों से समझाइश कर उन्हें पाबंद किया। इससे वे भविष्य में बालकों से वापस बालश्रम न करवा सकें। इसके लिए बालकों से दोबारा बालश्रम करवाने पर उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई। बाल कल्याण समिति के माध्यम से बालकों को आश्रय स्थलों में आश्रय दिलवाया गया।
43 बालकों को भिक्षावृत्ति से दिलवाई मुक्ति
टीम ने साल के बीते दस माह में औसतन एक बालक को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलवाते हुए 43 बालकों को भिक्षावृत्ति के अभिशाप से भी मुक्ति दिलवाई। इन सभी बालकों को बाल कल्याण समिति के माध्यम से आश्रय स्थलों पर आश्रय दिलवाया गया तथा अभिभावकों को समझाइश कर भविष्य में बालकों से भिक्षावृत्ति नहीं करवाने के लिए पाबंद किया गया।
दीपक भार्गव, पुलिस अधीक्षक (सिटी)
मानव तस्करी विरोध यूनिट ने गुमशुदा को दस्तयाब करने के अलावा बालश्रम व भिक्षावृत्ति से बालकों को मुक्ति दिलवाने में योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया। इसके लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की ओर से लगातार चलाए गए अभियान व पुलिस अधीक्षक के लगातार दिशा-निर्देश से ऐसे परिणाम मिले।
राजेन्द्र सिंह कविया, प्रभारी, मानव तस्करी विरोधी यूनिट