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कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में स्वायत्त शासन विभाग ने बताया कि प्रदेश में आग बुझाने के लिए अग्निशमन विभाग के पास महज 569 अग्निशमन वाहन हैं। जिनमे 411 अग्निशमन वाहन चालू हैं, जबकि 76 लंबे समय से खराब हैं। 82 अग्निशमन वाहन इस्तेमाल के इंतजार में नाकारा हो चुके हैं। मतलब साफ है कि प्रदेश की करीब साढ़े सात करोड़ आबादी के लिए महकमे के पास सिर्फ 411 अग्निशमन वाहन ही मौजूद हैं।
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गांव, कस्बे भगवान भरोसे
शहरी इलाकों में तो आग लगने के बाद जैसे-तैसे फायर ब्रिगेड पहुंच भी जाती है, लेकिन गांव, कस्बों का तो भगवान ही मालिक है। अग्निशमन विभाग ने स्वीकारा है कि उनके पास ग्रामीण इलाकों में लगी आग को बुझाने की न तो पर्याप्त व्यवस्था है और ना ही संसाधन। नतीजन, जब भी आग इन इलाकों को अपनी चपेट में लेती है तब आपदा प्रबधन और सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग की ओर ताकना मजबूरी बन जाता है। जब कुछ भी नहीं सूझता तो निकटतम नगरीय निकाय से अग्निशमन वाहन एवं संसाधन गांवों के लिए रवाना किए जाते हैं। तब तक बड़ा नुकसान हो चुका होता है। watch: हाड़ौती में मूसलाधार बारिश से कोटा में चंबल तो बूंदी में मेज नदी उफनी, बैराज और गुढाबांध के खुले 4-4 गेट
कार्य प्रगति पर है
बढ़ते शहर और आबादी के बावजूद अग्निशमन विभाग की तैयारियां जैसे दशकों पहले थीं, अब भी वही हैं। यहां तक कि दशकों से खाली पड़े पदों को भी नहीं भरा जा सका है। नतीजतन, मुख्य अग्निशमन अधिकारी से लेकर फायर ब्रिगेड के चालकों तक खाली पड़े 1,325 पदों के मुकाबले सिर्फ वाहन चालक के 193 पदों पर ही भर्ती की प्रक्रिया चल रही है।
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यह है रिक्त पद
जानकारी के अनुसार 2 मुख्य अग्निशमन अधिकारी, 16 अग्निशमन अधिकारी, 51, सहायक अग्निशमन अधिकारी 137, लीडिग फायरमैन 678, फायरमैन तथा 441 वाहन चालक फायर के पद रिक्त हैं।