दमा (अस्थमा) का असर सबसे ज्यादा बच्चों अैर बुजुर्गों पर हो रहा है। सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। धूम्रपान करने वाले बुजुर्ग, मजदूर, बाइक सवार व महिलाएं भी इसका शिकार हो रहे हैं। उम्र की बात करें तो 12 साल से कम और बुजुर्गों में 60 साल से ऊपर वालों पर इसका असर ज्यादा हो रहा है। सरकारी व निजी अस्पतालों की ओपीडी में दमा (अस्थमा) रोगी बढ़े हैं। नए अस्पताल में पहले 150 से 200 तक ओपीडी रहती थी, जो बढ़कर 250 तक पहुंच गई है। निजी अस्पतालों में भी 20 से 25 प्रतिशत तक नए रोगी बढ़े हैं।
रखें सावधानी
कोहरे के समय वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें।
कोहरे के बीच व्यायाम के लिए बाहर नहीं निकलें।
मुंह पर कपड़ा बांधकर ही बाहर निकलें।
बुजुर्ग जब कोहरा हो तो घरों के अंदर रहे।
ऐसे मौसम में बुजुर्ग व बच्चे धूप का सेवन करें।
लम्बे समय तक खांसी रहे तो चिकित्सक को दिखाएं।
कोहरे व प्रदूषण एक साथ घुलने से स्मोग की स्थिति बन रही है। यह सांसों तक पहुंच रहा है। इससे दमा (अस्थमा) के रोगी बढ़े हैं। सांस में तकलीफ होने पर जल्द पहचान होने पर इस बीमारी से बचा जा सकता है, लेकिन यह लम्बे समय तक रहने से ये दमा (अस्थमा) का रूप ले लेती है।
डॉ. राजेन्द्र ताखर, श्वास रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज
सर्दी के दिनों में वायरल इन्फेक्शन बढ़ता है। वातावरण में एंडिनो, राइनो व इन्फ्लूजा वायरस सक्रिय रहते हैं। इन्फ्लूजा वायरस की दवा है, लेकिन कई अन्य वायरस की दवा कारागर नहीं होती है। जब व्यक्ति ठंडी हवा की चपेट में आता है तो गला खराब होता है। सांस में तकलीफ होती है। बुखार आता है। कई हफ्ते तक खांसी का असर रहता है। समय पर इलाज नहीं होने पर अस्थमा होता है।
डॉ. केवलकृष्ण डंग, श्वास रोग विशेषज्ञ