तीर्थगुरु पुष्कर व रूणिचा धाम रामदेवरा सहित अन्य तीर्थों से लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं का है जुड़ाव तीर्थों पर ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगे, जो तीर्थ की पवित्रता एवं मान-मर्यादा के अनुकूल न हों
अन्तरराष्ट्रीय ख्यात सतयुगी तीर्थ पुष्करराज की आस्था करोड़ों श्रद्धालुओं से जुड़़ी हैं। यहां जगतपिता ब्रह्मा का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। पुष्करराज को सभी तीर्थों का गुरु माना जाता है। हर साल कार्तिक मास में पौराणिक तीर्थ पुष्कर के सरोवर स्नान में लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। शक्तिस्वरूपा देवी मां की 51 शक्तिपीठों में से एक मणीबंध शक्तिपीठ पुष्कर में हैं। यहां करीब 500 मंदिर हैं। अन्तरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में देश-विदेश से लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। तीर्थगुरु की मान-मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाली कई गतिविधियां पिछले सालों में हो चुकी हैं, फिर भी इनसे सबक लेते हुए राज्य सरकार तीर्थ की महिमा सुनिश्चित करने के लिए गंभीर नहीं रही। पुष्कर को टैम्पल सिटी बनाने के लिए चुनावी घोषणा हुई थी, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुए संवाद में पुष्कर विधायक सुरेशसिंह रावत ने इस ओर केन्द्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था।
सद्भाव व समरसता के प्रतीक रुणिचा धाम के लोकदेवता बाबा रामदेव हर वर्ग के आराध्य हैं। परमाणु परीक्षण से देश को महाशक्ति बनाने वाले पोकरण क्षेत्र के रामदेवरा में हर साल भाद्रपद मास में भरने वाले बाबा के मेले में देश-विदेश से 25 से 30 लाख तक श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं। लाखों श्रद्धालु सैकड़ों किलोमीटर से पैदल चलकर भी यहां मन्नत मांगने आते हैं। पैदल जाने वाले जातरूओं को राहत देने के लिए जोधपुर से रामदेवरा तक पैदल पथ का निर्माण दो सरकार बदलने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है।
सोम, माही व जाखम नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित पौराणिक तीर्थ बेणेश्वर धाम की विशेष ख्याति है। यहां प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा मेले में लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। इसे आदिवासियों का महाकुंभ भी कहा जाता है। तीर्थ के संगम में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु यहां भगवान विष्णु व भगवान शिव के मंदिर में दर्शन करते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार मावजी ने यहां तपस्या की थी। पुराण आदि ग्रंथों में बेणेश्वर तीर्थ का उल्लेख है। दक्षिणी राजस्थान में डूंगरपुर से 75 किलोमीटर दूर आदिवासियों की आस्था का बड़ा केन्द्र होने के बावजूद इसे तीर्थ रूप में विकसित करने के प्रति सरकार का फोकस नहीं है। मास्टर प्लान के जरिए विकास की बातें भी कागजों में ही चल रही।
भगवान कृष्ण जन्मभूमि मथुरा को तीर्थस्थल घोषित करने के बाद हाल ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीर्थगुरु पुष्कर के विधायक सुरेशसिंह रावत से संवाद किया तो पुष्कर समेत अन्य प्रसिद्ध धार्मिक शहरों को तीर्थस्थल घोषित करने की उम्मीद मुखर हो गई हैं। विधायक रावत ने पीएम मोदी के समक्ष तीर्थगुरु पुष्कर को टेम्पलसिटी घोषित करने की बात रखी। अब प्रदेश की जनता भी चाहती है कि राज्य सरकार को अब इस दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है।
प्रदेश के तीर्थों का क्राउड मैनेजमेंट तीर्थराज प्रयागराज व तिरुपति जैसा होना चाहिए। दोनों ही तीर्थ स्थलों का मैंनेजमेंट बेहतरीन है। हर श्रद्धालु यहां आकर धन्य हो जाता है। दो साल पहले प्रयागराज दिव्य कुम्भ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ के बावजूद बेहतरीन मैनेजमेंट किया गया।