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कोटा

शहद के लालच में फंसा बच्चा, मादा भालू को किया ट्रेंकुलाइज

रेस्क्यू : कोटा थर्मल में डेढ़ साल से खुले घूम रहे भालुओं के कुनबे ने सोमवार को थर्मल कर्मी पर किया था हमला – रात भर कवायद करने के बाद पकड़ में आई मादा भालू और उसका बच्चा, गुरुवार को बोराबास के जंगलों में छोड़ा

कोटाMay 22, 2020 / 12:27 am

​Vineet singh

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कोटा. कोटा थर्मल कर्मचारियों के लिए डेढ़ साल से दहशत का शबब बने भालुओं के कुनबे को वन्य कर्मियों ने आखिरकार पकड़ ही लिया। बुधवार शाम रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। भालू का बच्चा शहद के लालच में पिंजड़े में फंस गया। जिसके बाद उग्र हुई मादा भालू को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया। दोनों को गुरुवार तड़के बोराबास के जंगलों में छोड़ दिया गया। कोटा थर्मल में करीब डेढ़ साल से भालुओं का कुनबा खुला घूम रहा था। सोमवार को मादा भालू और उसके बच्चों ने डीएम प्लांट में काम कर रहे ऑपरेटर देवकीनंदन मोरवाल पर हमला कर दिया। जिसके बाद कोटा थर्मल के मुख्य अभियंता अजय सक्सेना ने रात में ही वन विभाग के आला अधिकारियों से वार्ता कर भालू को पकडऩे के लिए कहा। दो दिन की रेकी बोरवास फॉरेस्ट रेंज के रेंजर संजीव गौतम ने फॉरेस्ट गार्डों के साथ दो दिन और रात भालुओं का रूट ट्रेक करने के लिए रेकी की। भालुओं के मूवमेंट की फोटो और लोकेशन लेने के बाद बुधवार शाम को रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत की गई। भालू के आने जाने के रास्ते पर कोटा थर्मल में दो बड़े पिंजड़े लगाए गए। जिनमें शहद और भालुओं के पंसदीदा फल रखे गए। बुधवार रात करीब बारह बजे इन्हें खाने के लालच में पिंजड़े में जा घुसा। बच्चे के पिंजड़े में फंसते ही मादा भालू उग्र हो गई। काफी कोशिशों के बाद उसे रात करीब २.४५ बजे ट्रेंकुलाइज कर लिया गया। बोराबास में छोड़ाटे्रंकुलाइज करने के बाद वन विभाग के वरिष्ठ वन्य चिकित्सक डॉ. तेजेंद्र पाल सिंह ने मादा भालू और उसके बच्चे का मेडिकल किया। डॉ. सिंह ने बताया कि बच्चा करीब डेढ़ पौने दो साल का था। जबकि मादा भालू की उम्र करीब सात साल है। दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं। दोनों को पिंजड़े में डालकर गुरुवार तड़के बोराबास रेंज ले जाया गया। जहां मादा भालू के होश में आने के बाद दोनों का फिर स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद सुबह करीब सात बजे जंगल में छोड़ दिया गया।
कोटा थर्मल में दो दिन की रेकी के बाद मादा भालू के साथ एक ही बच्चे का मूवमेंट ट्रेक किया गया है। दोनों को पकडऩे के बाद बोराबास के प्राकृतिक रहवास में सुरक्षित छोड़ दिया गया है। करीब १५ घंटे चला भालुओं का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा है। – संजीव गौतम, फॉरेस्ट रेंजर, बोरोबास रेंज

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