नहरों के किनारे भी हो सकते हैं हादसे
कोटा शहर में बोरखेड़ा, स्टेशन, नांता डीसीएम क्षेत्र से नहरों की वितरिकाएं गुजर रही हैं। इनके किनारे कृषि भूमि पर कॉलोनियां बस गई हैं, लेकिन वितरिका के किनारे सड़कें बहुत संकरी हैं। इसके अलावा सुरक्षा दीवार बनी हुई नहीं है। ऐसे में तेज रफ्तार से चलने वाले नहर या वितरिका में गिर सकते हैं। पत्रिका टीम ने बोरखेड़ा से रेलवे कॉलोनी की ओर जा रही वितरिका का जायजा लिया तो वहां कई जगह हादसे की आशंका दिखी। मौके पर एक टै्रक्टर-ट्रॉली नहर में गिरते-गिरते बाल बाल बचा।
निगम में आपदा प्रबंधन जुगाड़ से चल रहा कोटा. नगर निगम में आपदा प्रबंधन के बंदोबस्त जुगाड़ से चल रहे हैं। न पूरे संसाधन हैं, न मैनपावर। आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। स्थिति यह है कि पानी में डूबने की स्थिति से बचाने के लिए जो नावें दी गई हैं, वे खराब पड़ी हैं।
मेज नदी दुखान्तिका के बाद पत्रिका टीम ने निगम के आपदा प्रबंधन की स्थिति जानी तो हैरानी करने वाली तस्वीर सामने आई। निगम के सब्जीमंडी स्थिति कार्यालय में चार नावें दे रखी हैं। इसमें पिछले दो साल से तीन नावें खराब पड़ी हैं। इन नावों को दुरुस्त नहीं करवाया गया है। इस कारण तीन नावों को कार्यालय की छत पर रख दिया गया है।
वासुदेव मालावत, प्राधिकारी नगर निगम इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो यह सुनिश्चित किया जाएगा। पुलिया क्षतिग्रस्त होने के कारणों की जांच कर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे स्थानों को चिन्हित कर दुरुस्त कराया जाएगा।
प्रताप सिंह खाचरियावास, परिवहन मंत्री