बारिश में कीचड़ होने के कारण मवेशी सूखी जगह पर सड़कों के बीच आ जाते हैं। मंगलवार और बुधवार को हुई बारिश के बाद कमोबेश शहर की सभी सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा हो गया है। पशुपालक भी पालतू मवेशियों को भी खुला छोडऩे लग गए हैं। इससे यह समस्या और गंभीर हो गई है। नगर निगम पूरे साल सोता रहा।
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निगम ने आवारा मवेशियों की समस्या के समाधान की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किए हैं। केवल बैठकें हुई, निर्णय हुए और पालना के नाम पर नतीजा शून्य रहा। महापौर और आयुक्त बोर्ड व कार्य समिति की बैठक में आवारा मवेशियों की समस्या पर चिंता जताते हुए कार्रवाई की बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। महापौर ने मवेशियों के टैग लगाने की आदेश दिए थे, लेकिन तीन माह बीतने वाले हैं अभी तक फाइलों में ही टैग लग रहे हैं।
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पिछले साल बारिश में आवारा मवेशियों के सड़कों पर विचरण करने से शहर में आधा दर्जन लोगों की अकाल मौत हो हुई और तीन दर्जन लोग घायल हो गए थे। लोग रात को सड़कों पर बाइक से जाने तक से डरने लग गए थे।
पत्रिका ने लगातार चेताया
आवारा मवेशियों की समस्या के समाधान के लिए ‘राजस्थान पत्रिका’ लगातार नगर निगम और जिला प्रशासन को चेताता रहा है। अप्रेल में ही पत्रिका ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाते हुए प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया था, लेकिन जिम्मेदारों ने आंखें मूंद रखी हैं।
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इधर, कांग्रेसी पार्षदों ने बुधवार को महापौर को ज्ञापन देकर आवारा मवेशियों की समस्या का शीघ्र समाधान करने की मांग की है। सात दिन में समाधान नहीं होने की दशा में आंदोलन की चेतावनी दी गई है। नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका ने बताया कि महापौर महेश विजय को आवारा मवेशियों की समस्या का समाधान करने की मांग की है। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मण्डल में पार्षद दिलीप पाठक, मोहम्मद हुसैन मोम्दा, मोनू कुमारी, शमा मिर्जा आदि शामिल थे।