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कोटा

यूपी में हो रही इस कार्रवाई पर राजस्थान खामोश, खून के आंसू रो रहा किसान

किसान चुपचाप खून के आंसू रो रहा है। कोई उसकी सुनने वाला नहीं। उसका खरा पसीना तवेशी चट कर रहे। आवारा मवेशियों ने किसानों की नींद उड़ा रखी है।

कोटाJan 14, 2019 / 02:12 am

Dhitendra Kumar

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यूपी में हो रही इस कार्रवाई पर राजस्थान खामोश, खून के आंसू रो रहा किसान


कोटा.

यूपी में किसानों की फसलों पर भारी पड़ रहे मवेशियों का हल्ला होने के बाद भले ही मुख्यमंत्री यागी आदित्यनाथ ने आवारा मवेशियों की धरपकड़ में पूरे प्रदेश के अफसरों को झोंक दिया हो लेकिन राजस्थान में भी कोई कमतर हालात नहीं। बस अन्तर इतना कि किसान चुपचाप खून के आंसू रो रहा है। कोई उसकी सुनने वाला नहीं। उसका खरा पसीना तवेशी चट कर रहे।
कोटा जिले को ही लें, यहां न्यजीवों व आवारा मवेशियों ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। ये वन्यजीव और आवारा मवेशी रोजाना खेतों में पहुंचकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। फसलों को बचाने के लिए किसानों को पूरी रात खेतों में जागना पड़ रहा है। बड़े खेतों में तो वन्यजीवों से फसल बचाना अकेले किसान के लिए संभव नहीं है। अत: किसान परिवार के दो सदस्य पूरी रात खेतों में डटे रहते हैं। किसानों की यह समस्या राज्य विधानसभा व लोकसभा में भी उठाई जा चुकी है लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है।
किसानों के चेहरे मुरझाए
सुल्तानपुर में खाद की मारामारी, नहरी पानी की मशक्त के बाद हाड़तोड मेहनत से सींची फसलों को बर्बाद होता देख किसानों के चेहरे मुरझा गए। वन्यजीव खेतों में खड़ी फसलों को रोंद किसानों के अरमान चकनाचूर कर रहे हैं। वन विभाग व प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा धरतीपुत्रों को सर्द हवाओं व अनजाने डर के साय में पूरी रात खेतों में बिताकर भुगतनी पड़ रही है। कड़ी मेहनत से उपजाई गई फसल नीलगाय, हिरण व जंगली ***** नष्ट कर रहे हैं। जंगल से सटे गांवों में नीलगाय व जंगली रोझ का आतंक इतना बढ़ गया कि अब किसानों को दिन-रात दो शिफ्टों में फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है। वहीं, जंगली जानवरों के हमले से आशंकित किसान खेतों में कई फीट ऊंचे मचान बनाकर निगरानी को मजबूर हैं।
खतरे के बीच फसलों की रखवाली
जाखड़ौन्द गांव के किसान राधेश्याम नागर, बालापुरा के सुखलाल मीणा ने बताया कि जंगली जानवरों के चलते हर वर्ष आधी पैदावार भी नहीं निकल पाती है। सुबह जंगली रोझ, हिरण व नीलगाय तो रात को ***** फसल बर्बाद कर रहे हैं। खेतों पर रात में अलाव जलाकर व पटाखे फोड़कर जानवरो को भगाते हैं ऐसे में जंगली जानवरों द्वारा हमला करने खतरा भी बना रहता है। भीमपुरा गांव के जगमोहन नागर व मुकेश ने बताया कि 15 बीघा खेत में गेंहू फसल की थी, जिसमे से 2 बीघा के गेहंू जंगली व आवारा मवेशी चट कर गए। नापाहेड़ा गांव के हरिश मीणा, जालिमपुरा के रामकल्याण मीणा व सूरेला के खुमानसिंह नरूका के खेतों में भी जंगली जानवर फसलें रोंद गए। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। जंगली जानवरों से आटोन, अमरपुरा, खेरूला, बगतरी, भीमपुरा जालिमपुरा, बांक्या, जाखडौन्द, मोरपा, चन्द्रावला, नीमोदा समेत उजाड़ा क्षेत्र के दर्जनों गांवों में जंगली जानवरो के आतंक से किसान खासा परेशान है।
जंगली जानवरों के हमले का रहता है डर
सांगोद क्षेत्र में चरागाह एवं वन इलाकों से सटे गांवों में इन दिनों वन्यजीव किसानों के लिए बड़ी परेशानी बन रहे हैं। ये खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मजबूरन किसानों को दिन-रात खेतों में रखवाली करनी पड़ रही है। इसके बावजूद पल भर में ये वन्यजीव फसलों को रौंंद जाते हैं। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में वन क्षेत्र व चरागाह क्षेत्र से सटे कमोलर, भूलाहेड़ा, बालूहेड़ा, झालरा, झालरी, हरिपुरामांजी समेत दो दर्जन से अधिक गांवों में वन्यजीव किसानों के लिए सिर दर्द बने हुए हैं। इन इलाकों में हरिण, रोझ, जंगली ***** आदि अधिक हैं। इन दिनों खेतों में लहलहा रही फसलोंं को चट कर रहे हैं।
फसल बचाना चुनौती
इटावा क्षेत्र में वन्यजीवों व आवारा मवेशियों के कारण किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है। वन्यजीव खेतों में खड़ी फ सलों को नष्ट कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार इटावा क्षेत्र में हरिण और रोझ बड़ी संख्या में खेतों में विचरण कर रहे हैं। रात्रि के समय फ सलों की सुरक्षा के लिए किसानों को रतजगा करना पड़ रहा है। इसके बावजूद फ सलों को बचाना भारी पड़ रहा है। आसीदा निवासी रामकेश गुर्जर ने बताया कि 18 वां क्षेत्र में सैकड़ों हरिण और रोझ दिन-रात खेतों में घूमते रहते हैं। ये खेतों में खड़ी फ सलें नष्ट कर रहे हैं। रात्रि समय रोझ सड़कों पर भी घूमते रहते हैं। इससे कई बार वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।

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