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कोटा

खुशियों की गणगौर आई पर ऐसे …ईसर गौर से की कोरोना से मुक्ति की कामना

घर में ही गूंजे गणगौर के गीत कहीं मिट्टी तो कहीं तस्वीर की पूजा अर्चना कर मांगा सुहाग

कोटाMar 27, 2020 / 05:21 pm

Suraksha Rajora

खुशियों की गणगौर आई पर ऐसे ...ईसर गौर से की कोरोना से मुक्ति की कामना

खुशियों की गणगौर आई पर ऐसे …ईसर गौर से की कोरोना से मुक्ति की कामना

कोटा. भंवर म्हाने पूजण दे गणगौर…. गौर-गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती…. खोल ऐ गणगौर माता खोल किवाड़ी … ईशर जी तो पेचो बांधे गौराबाई पेच संवारियो राज ……कानों में रस घोलते ये गीत इस बार घर घर में ही सुनाई दिए। कोरो ना वायरस की दहशत के बीच महिलाओं ने ईसर गौर की पूजा घर पर ही की।

ईसर-गौर यानि शिव-पार्वती की पूजा का यह पावन पर्व आपसी स्नेह और साथ की कामना से जुड़ा हुआ है। इसे शिव और गौरी की आराधना का मंगल उत्सव भी कहा जाता है। लेकिन इस उत्सव को इस बार कोरोना ने फीका कर दिया लेकिन परम्परागत पर्व का उत्साह चरम पर रहा। महिलाओं ने घर पर ही मिट्टी की गणगौर बनाकर पूजा अर्चना की। लोक गीतों के जरिए अमर सुहाग की प्रार्थना करते हुए देश में कोरोना के संकट को दूर करने की कामना की।
मुंह पर मास्क लगाया रखी सोशल डिस्टेंसिंग
भावों की मिठास और अपनों की मनुहार लोकगीत पूजा के समय निभाई जाने वाली हर रीत को समेटे हुए महिलाओं ने कोरोना के खौफ के साए में पूरी एहतियात बरतते हुए पूजा की। मुंह पर मास्क लगाकर पूजा की और सोशल डिस्टेंंसिंग पूरा ध्यान रखा गया। कुंवारी कन्याओं ने भी मनचाहा वर के लिए पूजा अर्चना की। शाम को शुभ मुहूर्त में गणगौर को पानी पिलाकर तुलसी के गमले में विसर्जित किया ।
1970 के इतिहास मेंपहली बार पसरा सन्नाटा
श्हर में लॉक डाउन के चलते मंदिरो पर भी कोरोना का पहरा रहा। पिछले साल जहां गणगौर पर्व की धूम देखने को मिलती थी वहां सन्नाटा ही पसरा रहा। दादाबाड़ी गौतम निवास में सन् 1970 के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिला। बुजूर्ग कांति शर्मा ने बताया कि पचास सालो से ईसर गौर को पूजा जाता रहा।
घनी आबादी बढने के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं यहां पूजन के लिए आती थी पैर रखने जगह नही मिलती थी लेकिन इतने सालों बाद ऐसा देखने को मिला। कोरो ना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए पूर्व में ही महिलाओं को जागरूक किया गया कि घर पर ही पूजा करें। घर की सदस्यों ने भी इसका पूरा ध्यान रखा।

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