चम्बल को मिलेगा संबल, 146 किमी लम्बा सीवरेज तंत्र रोकेगा गंदे नाले
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत कोटा शहर में 3 चरणों में सीवरेज तंत्र बनेगा। परियोजना पर 258.48 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसे पूरा करने के लिए जून 2022 की समय सीमा तय की गई है।
कोटा. चम्बल नदी के प्रदूषण को नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा योजना के जरिए खत्म करने की योजना को शुरू करने के कार्यादेश नगर विकास न्यास की ओर से जारी कर दिए गए हैं। यह कार्य दो फर्मों का संयुक्त उपक्रम मिलकर पूरा करेगा। इस योजना को जून 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत 146 किमी लम्बी सीवरेज लाइन डाली जाएगी। इसके माध्यम से चम्बल में गिरने वाले नालों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाएगा। इन्हें 30 एमएलडी और 6 एमएलडी की क्षमता के प्लांट से जोड़ा जाएगा। पूरी परियोजना के लिए 258.48 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। न्यास सचिव राजेश जोशी ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन के लिए कार्यादेश जारी कर दिए हैं। योजना को निर्धारित समय पर पूरा करने पर जोर दिया जाएगा। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत कोटा शहर में 3 चरणों में सीवरेज तंत्र बनेगा। पहले चरण में तलवंडी सेक्टर बी, सी, जवाहर नगर, दादाबाड़ी विस्तार, बालाकुंड, बसंत विहार, शास्त्री नगर, प्रताप नगर, शक्ति नगर, शिवपुरा, किशोरपुरा और वक्फ नगर शामिल हैं। इस पर 81.63 करोड़ खर्च होंगे। दूसरे चरण में लाडपुरा, रामपुरा, सब्जीमंडी, घंटाघर, कैथूनीपोल, साबरमती कॉलोनी में सीवरेज डलेगी। इस पर 84.25 करोड़ रुपए खर्च होंगे। तीसरे चरण में कुन्हाड़ी, सकतपुरा, पंचवटी कॉलोनी, अम्बेडकर नगर और कृष्णा नगर में सीवरेज तंत्र विकसित होगा। इस पर चरण में 41.22 करोड़ खर्च होंगे। इस योजना से पहले भी वर्ष 2009 में राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत चम्बल को शुद्ध करने की योजना बनी थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई। कई सालों के प्रयास के बाद फिर से गंदे नालों को नदी में गिरने से रोकने के लिए योजना स्वीकृत हुई है। जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को इसके क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देना होगा। ऐसा नहीं अधिकारियों की अनदेखी से इस योजना को पूरा करने में बाधाएं खड़ी हो जाएं। इस योजना के पूरा होने पर चम्बल में गंदे नाले नहीं गिरेंगे।
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